द ब्लाट न्यूज़ । पूर्वी दिल्ली के नगर निगम स्कूलों कार्यरत शिक्षकों को बीते पांच महीने से वेतन नहीं दिए जाने पर उच्च न्यायालय ने बुधवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने कहा कि जब वरिष्ठ अधिकारियों को समय से वेतन व भत्ता मिल रहा है तो शिक्षकों को क्यों नहीं मिल रहा है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने शिक्षकों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। शिक्षकों की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने कहा, समय से वेतन नहीं देना शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। सुनवाई शुरू होने पर चीफ जस्टिस शर्मा ने निगम की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि जब निगम के अधिकारियों को समय से वेतन मिल रहा है तो शिक्षकों को क्यों नहीं। ये आपके स्कूलों के कर्मचारी हैं या नहीं?
पीठ ने कहा कि यह बड़ा ही अजीब है कि शिक्षकों को 5 माह का वेतन नहीं दिया जा रहा है। साथ ही निगम के वकील से पूछा कि निगम के प्रमुख कौन है? हम विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन तब तक के लिए रोक देंगे जब तक कि शिक्षकों को उनका वेतन नहीं मिल जाता है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह बड़ा ही दुर्भाग्य की बात है कि वरिष्ठ अधिकारियों को समय से वेतन मिल रहा है लेकिन गरीब शिक्षकों को कई माह तक वेतन के लिए इंतजार करना होता है।
निगम के वकील ने पीठ को बताया कि धन की कमी के चलते शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा सका। इस पर न्यायालय ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को वेतन कैसे मिल रहा है। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि धन की कमी के चलते ग्रेड-ए के भी अधिकारियों (पूर्वी दिल्ली में तैनात) को जनवरी से वेतन नहीं मिला है। शिक्षक ग्रेड बी की श्रेणी में आते हैं। नगर निगम ने कहा कि उसने उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर उस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है जिसमें दिल्ली सरकार को धन जारी करने का आदेश देने की मांग की गई है। इस मामले की सुनवाई 22 जुलाई होने वाली है।