द ब्लाट न्यूज़ । आगामी अक्टूबर से शुरू हो रहे चीनी सत्र 2022-23 में चीनी का उत्पादन ज्यादा होने की उम्मीद को देखते हुए चीनी मिलों ने केंद्र से मांग की है कि सरकार को अपनी निर्यात नीति पर फिर से विचार करना चाहिए और खुले सामान्य लाइसेंस (ओपन जनरल लाइसेंस- ओजीएल) के तहत करीब 80 लाख टन चीनी निर्यात को अनुमति देनी चाहिए, जिससे घरेलू बाजार की स्थिति में स्थिरता बनी रह सके।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को कुछ दिन पहले लिखे पत्र में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने कहा है कि 2022-23 में गन्ने का रकबा चालू साल की तुलना में 2 प्रतिशत ज्यादा रहने की संभावना है। एसोसिएशन ने कहा है कि बारिश सामान्य रहने के अनुमान को देखते हुए अगर एथेनॉल में इस्तेमाल की गणना न करें तो घरेलू चीनी का उत्पादन 394 लाख टन रहने की संभावना है। चालू साल में 34 लाख टन इस्तेमाल एथेनॉल में हुआ है, जबकि चीनी उत्पादन बढ़कर 360 लाख टन हो गया है।
इस्मा ने पत्र में कहा है, ‘बहरहाल ऐसा लगता है कि चीनी का अगले साल उत्पादन ज्यादा रहने की संभावना है। भले ही बड़ी मात्रा में चीनी का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने में किया जाए और निर्यात के लिए पर्याप्त चीनी मौजूद होगी।’ चीनी मिलों ने कहा है कि यह उचित वक्त है, जब ओजीएल के तहत चीनी के निर्यात की घोषणा की जाए, क्योंकि इस समय वैश्विक दाम ज्यादा हैं और इस समय घोषणा किए जाने से अच्छे दाम पर भविष्य के लिए सौदे करने में मदद मिलेगी और मिलर्स इसके लिए पहले से योजना बना सकेंगे।
मिलर्स ने कहा, ‘इससे सभी चीनी मिलों को निर्यात में हिस्सेदारी करने के लिए साफ सुथरा और समान मौका मिलेगा। साथ ही मिलों को भरोसा होगा औऱ घरेलू बाजार की स्थिति में स्थिरता बनाए रखना संभव हो सकेगा और स्टॉक की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी।’
चालू सत्र (2021-22) में केंद्र सरकार ने पिछले महीने 6 साल में पहली बार चीनी निर्यात की सीमा 100 लाख टन कर दी थी, जिससे स्टॉक में कमी और घरेलू बाजार में दाम को रोका जा सके।
विश्व के सबसे बड़े चीनी उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक (ब्राजील शीर्ष निर्यातक है) भारत ने 2021-22 सत्र में करीब 85 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे किए हैं। इसमें से 15 मई तक 71 लाख टन चीनी भेजी जा चुकी है।
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