द ब्लाट न्यूज़ । मेरठ मंडल के कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ का अतिरिक्त कार्यभार संभालते ही यहां ताबड़तोड़ कई कड़े फैसले लिए हैं। इससे प्राधिकरण में हलचल मची है। बड़े पैमाने पर भूमाफिया और कालोनाइजरों पर कार्रवाई और अवैध निर्माण ध्वस्त कराने के बाद अब उनकी गाज उन अधिकारियों पर गिरना शुरू है,जो यहां वर्षों से जमे थे। पिछले 15 दिन में तीन अधिकारियों को वह प्राधिकरण से कार्यमुक्त कर चुके हैं। बृहस्पतिवार को उन्होंने नियोजन विभाग की महाप्रबंधक मीना भार्गव को भी कार्यमुक्त कर दिया।
दरअसल, दो वर्ष पहले शासन ने उनका तबादला उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) में किया था। सीईओ सुरेंद्र सिंह ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें तुरंत कार्यमुक्त करने का निर्देश जारी किया। बता दें कि महाप्रबंधक नियोजन मीना भार्गव को शासन ने दो बार नोटिस जारी कर अविलंब कार्यभार छोड़ने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद वह कार्यभार नहीं छोड़ रही थी। दैनिक जागरण ने इन मामले को प्रमुखता से उठाया। बीते 21 जून को ‘अस्थायी हाथों में थमा दी गोपनीय जानकारियां’, 22 जून को ‘दो बार तबादले के बाद भी नहीं छोड़ा ग्रेनो प्राधिकरण से कार्यभार’ और 23 जून को ‘जांच में गुमराह करने के बावजूद नहीं हो सकी अधिकारी पर कोई कार्रवाई’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी।
इस पर सीईओ ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। मीना भार्गव को उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर में कार्यभार संभाले ने कड़े निर्देश दिए। इससे पहले सीईओ सुरेंद्र सिंह ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक एनके जैन व मनोज धारीवाल को भी कार्यमुक्त किया था। उनकी इस सख्ती के बाद से प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। जानकारी के मुताबिक, बुधवार रात ही मीना भार्गव को इसकी जानकारी दे दी गई थी। बृहस्पतिवार को नियोजन विभाग में सन्नाटा पसरा रहा। वहां बैठे कर्मचारी और अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे रहे। मीना भार्गव पर आरोप लगा है कि उन्होंने नियोजन विभाग में स्थाई अधिकारियों से कार्य लेकर आउट सोर्सिंग पर आए लोगों के हाथों में महत्वपूर्ण और गोपनीय जिम्मेदारी सौंप दी।