हिंदू पंचांग के अनुसार, हलहारिणी अमावस्या आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि को कहा जाता हैं। जी हाँ और हलहारिणी अमावस्या केवल पितृ तर्पण के लिए ही नहीं, बल्कि किसानों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। आप सभी को बता दें कि इस अमावस्या को कृषि से जोड़कर देखा जाता है। जी दरअसल इस दिन किसानों के द्वारा इस दिन हल और खेती से संबंधित उपकरणों की पूजा की जाती है और भगवान से अच्छी फसल और अधिक उत्पादन के लिए प्रार्थना भी करते हैं। आपको यह भी जानकारी दे दें कि इस बार 28 जून, मंगलवार को हलहारिणी अमावस्या पड़ेगी।
जी हाँ और किसानों के द्वारा हलहारिणी अमावस्या का व्रत बड़े उल्लास से मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस दिन किसान बैलों से खेतों में काम नहीं करते बल्कि उन्हें चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं और इस दिन किसान अपनी खेती में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। आप सभी को बता दें कि हलहारिणी अमावस्या वर्षा ऋतु के ठीक आरंभ होने से पहले आती है, जिसमें किसान ईश्वर से अच्छी फसल और अच्छी पैदावार की कामना करते हैं। जी दरअसल हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या तिथि को पितृ तर्पण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। जी हाँ और इस दिन अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए पितृ तर्पण किया जाता है।
इसी के साथ इस दिन लोग प्रातः काल गंगा जी में या किसी पवित्र नदी में स्नान करके पितरों का तर्पण, श्राद्ध व पूजा पाठ करते हैं, ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो और वे उन्हें खुशहाली का आशिर्वाद प्रदान करें। ध्यान रहे आषाढ़ी आमावस्या पर स्नान के पश्चात दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी के साथ इस दिन आप गरीब या जरुरतमंद लोगों में तिल, तेल, चावल, चद्दर, छाता, चना, खिचड़ी, पुस्तक, साबूदाना, मिठाई, चने की दाल, अन्न, वस्त्र, रुई, उड़द की दाल बांट सकते हैं। आप सभी को बता दें कि अमावस्या तिथि 28 जून, मंगलवार की सुबह 05:53 से प्रारंभ हो जाएगी और यह अगले दिन 29 जून, बुधवार की सुबह 08:23 तक रहेगी।
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