फ्रेंको को जालंधर बिशप के रूप में दोबारा नियुक्ति…

द ब्लाट न्यूज़ । बिशप फ्रेंको के खिलाफ कुछ साल पहले बलात्कार के आरोप के बाद उनका विरोध करने वाली ननों का समर्थन करने के लिए गठित सेव अवर सिस्टर्स (एसओएस) नामक संगठन ने मंगलवार को पोप फ्रांसिस को जालंधर सूबे के बिशप के रूप में उन्हें ‘दोबारा नियुक्त’ करने के कथित कदम के खिलाफ याचिका दायर की।

याचिका में दावा किया गया है कि मामले में उन्हें दोष मुक्त करने वाली निचली अदालत अंतिम नहीं थी और इसे चुनौती देने वाली एक अपील उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

एसओएस ने इस मीडिया रिपोर्ट को ‘चौंकाने वाला’ बताया कि बिशप अपने धार्मिक दायित्वों को फिर से शुरू करेंगे। संगठन ने कहा कि उसे अन्य स्रोतों से पता चला है कि ‘वेटिकन पूरी तरह से दिल्ली में धर्म प्रमुख की रिपोर्ट और सलाह पर काम कर रहा है’ जो इसके अनुसार बिशप फ्रेंको के समर्थक हैं।

एसओएस संगठन ने यह कदम उन रिपोर्टों के बाद उठाया है जिनमें कहा गया है कि जालंधर के पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल की वापसी के लिए रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि वेटिकन ने केरल की अदालत के फैसले को स्वीकार कर लिया है, जिसने उन्हें नन द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया है।

सितंबर 2018 में, नन द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप पर केरल पुलिस द्वारा पूछताछ के बाद बिशप को पोप फ्रांसिस द्वारा अस्थायी रूप से जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था।

एसओएस ने याचिका में कहा, ‘‘फैसले का अध्ययन करने वाले सभी प्रख्यात वकीलों की एकमत राय है कि (निचली अदालत) का फैसला गलत है। यह फैसला बहुत दिन तक नहीं टिकेगा, क्योंकि इसे अपील पर उलट दिया जाएगा।’’

संगठन ने याचिका में कहा, ‘‘इस स्थिति में, यह हमारी विनम्र प्रार्थना है कि बिशप फ्रेंको को जालंधर के बिशप के रूप में तब तक बहाल नहीं किया जा सकता, जब तक कि केरल के उच्च न्यायालय द्वारा फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई और निर्णय नहीं कर दिया जाता। ’’

एसओएस के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए चर्च के एक सूत्र ने कहा कि वेटिकन भारतीय न्यायपालिका और उसके फैसले का सम्मान करता है। यह उन पर निर्भर करता है कि बिशप को दोषमुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करना है या नहीं।

57 वर्षीय बिशप पर 2014 और 2016 के बीच कोट्टायम में एक कॉन्वेंट के दौरे के दौरान नन के साथ कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था, जब वह जालंधर डायोसिस के बिशप थे।

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