द ब्लाट न्यूज़ । गांव सिलोखरा में तालाब की खोदाई की मांग फिर से शुरू हो गई है। ग्रामीणों ने इस बारे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव को उनके कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से यह भी शंका जाहिर की है कि खाली जमीन पर कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाने की तैयारी प्रशासन कर रहा है। यह उचित नहीं है। तालाब की जमीन पर तालाब ही होना चाहिए। बाकी जमीन पर गांव के लिए सामुदायिक भवन और अन्य सुविधाएं विकसित होनी चाहिए।
10 साल पहले तक गांव में तालाब था। यह जल संरक्षण के साथ ही आस्था का प्रतीक था। मलबा डालने जाने की वजह से तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो गया। इसकी खोदाई फिर से कराने को लेकर कई साल से ग्रामीण मांग कर रहे हैं। दो साल पहले लगातार 37 दिनों तक लोगों ने धरना तक दिया था। उस दौरान तत्कालीन शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने तालाब की खोदाई कराने का आश्वासन दिया था। यही नहीं एक बार तत्कालीन जिला उपायुक्त ने कस्सी चलाकर तालाब की खोदाई का शुभारंभ तक कर दिया।
स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता डा. मुकेश शर्मा का कहना है कि यदि तालाब की खोदाई हो जाती है तो गांव और आसपास जलभराव नहीं होगा। आज स्थिति यह है कि हल्की बारिश होने पर ही गांव और आसपास के इलाके में तालाब दिखाई देते हैं। तालाब की खोदाई से भूमिगत जल स्तर भी ऊंचा होगा। बाकी जगह पर सामुदायिक भवन और अन्य सुविधाएं विकसित करने पर जोर देना चाहिए। पता नहीं क्यों सरकार मांग के ऊपर ध्यान नहीं दे रही है। किसी भी हाल में तालाब की जमीन पर या आसपास की खाली जमीन पर कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए जिस स्तर पर संघर्ष करना पड़े, किया जाएगा। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में डा. मुकेश शर्मा के अलावा ओमप्रकाश शर्मा, अतर सिंह शर्मा, रामपत यादव, राममेहर यादव, मामचंद, धर्मबीर शर्मा, हर्ष शर्मा, देवीराम, हेमंत शर्मा और चंद्रभान सैनी आदि शामिल हैं।