लैब टेक्नीशियन कर रहे मरीजों का इलाज…

द ब्लाट न्यूज़ । स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य है। भले ही विभाग टीबी के मरीजों को बेहतर इलाज का दावा करे, पर मरीजों को परामर्श देने वाले चिकित्सक न होने से मरीज परेशान हैं। हालत ये है कि जिला अस्पताल में टीबी के नियमित मरीजों को दवा देने का काम लैब टेक्नीशियन कर रहे हैं।

अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे विपिन ने बताया कि टीबी होने पर अस्पताल पहुंचा, तो यहां चिकित्सक के बजाय लैब टेक्नीशियन मरीजों को परामर्श दे रहे हैं। पिछले तीन दिन से यह समस्या आ रही है। दरअसल, टीबी मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सक की ड्यूटी इन दिनों कोविड अस्पताल में भी लगी है। इससे वह कोविड अस्पताल के मरीजों को भी देखने जाते हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती हैं। इस संबंध में प्रभारी सीएमएस डा.विनीता अग्रवाल का कहना है कि टीबी मरीजों को परामर्श देने वाले चिकित्सक नियमित आते हैं। सोमवार को चिकित्सक अस्पताल आए थे। मरीजों की ओर से जो आरोप लगाए गए हैं, उसकी जांच की जाएगी।

फिजीशियन न आने से परेशानी : अस्पताल के कक्ष संख्या-5 की ओपीडी में बैठने वाले फिजीशियन के सोमवार को अवकाश पर होने से मरीजों को परेशानी हुई। पर्चा काउंटर पर बैठने वाले स्वास्थ्य कर्मियों ने पांच नंबर ओपीडी का पर्चा बनाकर मरीजों को ओपीडी में भेज दिया। मरीज कक्ष के बाहर कतार में लगने लगे, लेकिन जब नौ बजे तक चिकित्सक नहीं आए तो मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया। आनन-फानन में ओपीडी इंचार्ज रश्मि ने सूचना बोर्ड पर चिकित्सक के नहीं आने की बात लिखकर मरीजों को कक्ष संख्या-10 में भेज दिया।

आंख का आपरेशन नहीं करने का आरोप : अस्पताल में आंख का उपचार कराने पहुंची 80 वर्षीय गजरानी ने नेत्र रोग के चिकित्सकों पर उपचार नहीं करने का आरोप लगाया है। स्वजन का कहना है कि तिगड़ी गोलचक्कर से मोतियाबिद का आपरेशन कराने के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे, लेकिन चिकित्सक ने दूर से देखते ही आंख खराब होने की बात कहकर आपरेशन से इन्कार कर दिया।

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