मध्‍य प्रदेश सरकार फ‍िर सुप्रीम कोर्ट पहुंची,याचिका का फैसला…

द ब्लाट न्यूज़ । मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, जनपद व जिला) और नगरीय निकाय (नगर परिषद, नगर पालिका व नगर निगम) के चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में सरकार फ‍िर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सरकार ने इस बारे में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इस पर 17 मई को सुनवाई की जाएगी।

गृहमंत्री डाक्‍टर नरोत्‍तम मिश्रा ने इसके बाद मीडिया को पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। उन्‍होंने कहा कि सरकार चुनाव कराने को लेकर कृतसंकल्‍प है। उन्‍होंने इस मामले में फ‍िर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि यह स्थिति कांग्रेस के कारण बनी है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर तीनों रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी है।पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने आज ही सरकार को रिपोर्ट सौंपी है और आज ही हमने रिपोर्ट पेश कर दी।

उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले लंबे समय से चले आ रहे असमंजस को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दूर कर दिया। कोर्ट ने आदेश पारित कर राज्य निर्वाचन आयोग से स्पष्ट कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के बिना ही चुनाव कराए जाएं। ओबीसी आरक्षित सीटों को अनारक्षित श्रेणी में अधिसूचित किया जाए। दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करें। इसमें अब विलंब नहीं होना चाहिए। मगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि फैसले का परीक्षण करने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।

जया ठाकुर, सैयद जाफर सहित अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि संविधान में स्पष्ट प्रविधान है कि पांच साल में चुनाव होने चाहिए। विशेष परिस्थिति में ये छह माह आगे बढ़ाए जा सकते हैं। इसका उल्लंघन करने का अधिकार न तो राज्य सरकार को है और न ही राज्य निर्वाचन आयोग को। कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि जो राजनैतिक दल ओबीसी आरक्षण की तरफदारी कर रहे हैं वे अजा-अजजा के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर सामान्य वर्ग की सभी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार नामित करने को स्वतंत्र हैं।

कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था होने के बावजूद मध्य प्रदेश में अभी वास्तविक स्थिति यह है कि 23, 263 से ज्यादा स्थानीय निकाय दो वर्ष से ज्यादा समय से चुने हुए प्रतिनिधियों के बगैर काम कर रहे हैं। 321 शहरी स्थानीय निकाय हैं जहां 2019-20 से चुनाव नहीं हुआ है और करीब 23,073 पंचायत स्तरीय (रूरल लोकल बाडी) हैं, जहां चुनाव नहीं हुआ है। यह घोर आपत्तिजनक है।

ओबीसी आरक्षण के लिए जो प्रविधान किए गए हैं, उनका विधि संगत आधार नहीं है। जो चुनाव होने हैं, उन्हें आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम जारी करने में देरी न करे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि संविधान के प्रविधान अनुसार चुनाव जल्द से जल्द कराए जाने की मांग की गई थी, जिसे स्वीकार किया गया है। ये अंतरिम आदेश्ा न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, अभय एस. ओका और सीटी रविकुमार की पीठ ने दिए।

यह भी कहा था कोर्ट ने

-बिना ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह निर्णय मध्य प्रदेश ही नहीं सभी राज्यों पर लागू होगा।
-हाई कोर्ट या सिविल कोर्ट ने कोई अन्य आदेश दिए हैं तो उससे प्रभावित हुए बिना कार्रवाई करें। बिना अनुमति पूर्व के किसी आदेश पर कार्रवाई न हो।
-जब ट्रिपल टेस्ट पूरा कर लेंगे तो आगामी चुनाव में आरक्षण पर विचार किया जाएगा।
-राज्य सरकार ने जो प्रथम रिपोर्ट बनाई है, उसे ट्रिपल टेस्ट का पूरा पालन नहीं माना जा सकता है।

 

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