गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ में लिखा है कि जिस प्रकार बड़े जलाशय की मछलियां हमेशा सुखी रहती हैं, उसी प्रकार प्रभु की शरण में गए शख्स के सामने कोई भी अड़चन नहीं आती है। जो शख्स अपने कर्म पर पूरा ध्यान लगाकर ईश्वर पर विश्वास करता है, भगवान भी पग-पग पर उसकी सहायता करते हैं। हमारे शास्त्रों में जीवन की समस्याएं दूर करने तथा सफलता पाने के कुछ सरल मंत्र बताए गए हैं। ‘श्रीरामरक्षास्तोत्र’ का एक मंत्र हर प्रकार की कामयाबी पाने में बहुत उपयोगी बताया गया है। मंत्र इस प्रकार है
‘रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:’
एक अन्य मंत्र है:-
राजिवनयन धरे धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके इस मंत्र की 7 मालाएं (108 दाने की) जपना चाहिए। प्रत्येक माला की समाप्ति पर धूप-गुग्गुल की अग्नि में आहुति देनी चाहिए। सातों मालाएं पूरी हो जाने पर उस भस्म को सतर्कता से उठाकर रख लेना चाहिए। प्रतिदिन काम में जुटने से पहले भस्म को ललाट पर लगा लेना चाहिए। जप करने तथा भस्म लगाने से बड़ी से बड़ी अड़चन दूर होती हैं तथा हर काम में कामयाबी प्राप्त होती है। यह प्रयोग सिर्फ आस्तिकों के लिए ही है।
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