सैन्य बलों में नए तरीके से सैनिकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसे ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ नाम दिया गया है। इसे कम बजट में युवाओं को रोजगार देने के इरादे से जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इसको लेकर करीब दो साल से तैयारी चल रही है। इस अभियान के तहत कम सरकारी खर्चे में एक निश्चित अल्पकालिक अनुबंध पर सैन्य बलों में अधिकारियों और सैनिकों की बहाली की जानी है। इसके तहत नौकरी का समय करीब तीन साल हो सकता है।
कोरोना महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती में भारी कटौती की गई है। आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, वर्तमान में सेना, वायु सेना और नौसेना में 1,25,364 पद खाली हैं।
शीर्ष नेतृत्व से प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। इस सप्ताह रक्षा मंत्रालय में ‘टूर ऑप ड्यूटी’ पर ब्रीफिंग दी गई है। इस योजना को 2020 में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे द्वारा लाया गया। हाल के महीनों में सरकार के शीर्ष स्तरों पर इसके आकार और दायरे पर विचार-विमर्श किया गया।
इस योजना की अंतिम रूपरेखा अभी तक सामने नहीं आई है। इसका मकसद तीन साल की निश्चित अवधि के लिए सामान्य और विशेष कर्तव्यों दोनों के लिए सैनिकों की बहाली की थी। इससे सशस्त्र बलों में स्थाई भर्ती की अवधारणा में बदलाव की उम्मीद है।
नई प्रक्रिया में तीन साल के अंत में अधिकांश सैनिकों को ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्हें आगे के रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों से सहायता मिलेगी। माना जाता है कि कॉरपोरेट इंडिया ऐसे प्रशिक्षित युवाओं के लिए नौकरी आरक्षित करने में रुचि रखता है, जिन्होंने अपने देश की सेवा की है।
यदि सैनिकों की एक बड़ी संख्या को ‘टूर ऑफ़ ड्यूटी’ के तहत लिया जाता है तो वेतन, भत्तों और पेंशन में हजारों करोड़ की बचत हो सकती है। भर्ती किए गए युवाओं में से सर्वश्रेष्ठ को जगह होने पर अपनी सेवा जारी रखने का अवसर मिल सकता है।
इस अभियान का मकसद सरकार की लागत को कम करने के साथ-साथ हर साल हजारों प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार देना है। आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित कॉलेजों के छात्र जो सशस्त्र बलों में उच्च प्रौद्योगिकी अभियान के विस्तार में योगदान दे सकते हैं, उन्हें एक छोटे कार्यकाल के लिए सेवा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। जिसके बाद वे नागरिक दुनिया में करियर बना सकते हैं।