पापमोचनी एकादशी पर व्रत के दिनकरें उपाय,मिलेगी सभी पापों से मुक्ति

हिंदू, पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। एकादशी का विशेष महत्व है।इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही श्री हरि की कृपा हमेशा बनी रहती हैं।This image has an empty alt attribute; its file name is 22577790.jpg

मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत रखने से व्य़क्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही जीवन में आ रही उतार-चढ़ाव से भी छुटकारा मिलता है । आज के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के साथ पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करना काफी शुभ होता है। जानिए पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा।

पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ – 27 मार्च 27 को शाम 06 बजकर 04 मिनट से शुरू

एकादशी तिथि समाप्त- 28 मार्च को शाम 04 बजकर 15 मिनट तक

व्रत पारण का समय- 29 मार्च  सुबह 06 बजकर 15 से सुबह 08 बजकर 43 तक

द्वादशी समाप्त होने का समय – 29 मार्च दोपहर 02 बजकर 38 मिनट

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा-

कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने स्वयं अर्जुन को पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। इस कथा के अनुसार, राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा कि अनजाने में हुए पापों से मुक्ति कैसे हासिल की जाती है? तब लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत का जिक्र करते हुए राजा को एक पौराणिक कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। उस समय मंजुघोषा नाम की अप्सरा वहां से गुजर रही थी। तभी उस अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गईं। इसके बाद अप्सरा ने मेधावी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ढेरों जतन किए।

 

मंजुघोषा को ऐसा करते देख कामदेव भी उनकी मदद करने के लिए आ गए। इसके बाद मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और वह भगवान शिव की तपस्या करना ही भूल गए। समय बीतने के बाद मेधावी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। जिससे अप्सरा बेहद ही दुखी हुई।

अप्सरा ने तुरंत अपनी गलती की क्षमा मांगी। अप्सरा की क्षमा याचना सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया। मंजुघोषा ने मेधावी के कहे अनुसार विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। पापमोचनी एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे सभी पापों से मुक्ति मिल गई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा फिर से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर अपना खोया हुआ तेज पाया था।

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