देश में अब कोरोना की रफ्तार सुस्त पड़ रही है और इकोनॉमी को अनलॉक करने की दिशा में धीरे-धीरे राज्य सरकारें कदम उठाने लगी हैं. इस बीच कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार को तेज करने के लिए अब खुद केन्द्र ने राज्यों की जिम्मेदारी का बीड़ा भी अपने ही हाथों में उठा लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि वैक्सीनेशन के लेकर राज्य का खर्च भी अब खुद केन्द्र सरकार खुद वहन करेगी. इसके साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों के मुफ्त राशन दीवाली तक जारी रखने का ऐलान किया.
7 कंपनियां देश में कर रही वैक्सीन प्रोडक्शन
पीएम ने इशारा किया कि वैक्सीन की किल्लत अब जल्द दूर होने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. उन्होंने कहा कि आज देश में 7 कंपनियां, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं. 3 और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है. पीएम ने कहा कि जब नीयत साफ होती है, नीति स्पष्ट होती है, निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं.
बच्चों के लिए 2 वैक्सीन पर ट्रायल और नेजल वक्सीन पर रिसर्च
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी. हमारे देश ने, वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नही है. उन्होंने कहा कि आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. हाल के दिनों में कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा हमारे बच्चों को लेकर भी चिंता जताई गई है. इस दिशा में भी दो वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है. इसके अलावा अभी देश में एक नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है.
‘कोरोना वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच’
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी. भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई. इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया. सरकार के सभी तंत्र लगे,
उन्होंने कहा कि वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है. आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं. कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? पीएम ने कहा कि आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे.
उन्होंने कहा कि विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था. पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था. 2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था.