“तरल-ठोस अपशिष्ट प्रबंधन” तकनीक अपनाकर पर्यावरण की करें रक्षा : प्रो. नरेन्द्र मोहन

कानपुर । राष्ट्रीय शर्करा संस्थान मे “विश्व पर्यावरण दिवस” वृक्षरोपण कार्यक्रम “वृक्ष हरा, खुशहाल धरा” थीम के साथ संपन्न हुआ। संस्थान में एक “हर्बल वाटिका” बनाने का निर्णय लिया गया और इसकी शुरुआत गिलोय, परिजात, अश्वगंधा, तुलसी एवं एलोवेरा के पौध लगा की गई।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने समस्त भारतीय चीनी उद्योग के नाम एक अपील जारी करते हुए “तरल-ठोस अपशिष्ट प्रबंधन” की नवीन तकनीक अपनाते हुए पर्यावरण की रक्षा करने की बात कही। साथ-साथ उनसे “मूल्य वर्धित उत्पाद” बनाने का आह्वान किया।

उन्होंने मोलासेस पर आधारित डिस्टिलरीज को “जीरो लिक्विड डिस्चार्ज” के लिए डिस्टिलरीज से निकलने वाले दूषित जल को चीनी मिल से प्राप्त प्रेस मड के साथ मिलाकर “बायो-कम्पोस्ट” या “पोटाश युक्त ​फर्टिलाइजर” बनाने पर बल दिया।

उन्होंने ताजे पानी की खपत कम करने के लिए संस्थान द्वारा विकसित “मॉडल वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम” एवं “रेन वॉटर हार्वेस्टिंग” अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि चीनी मिलें अपने परिसर में उपलब्ध खाली जमीन पर उपयोग का “सोलर एनर्जी सिस्टम” लगाने के लिए भी कर सकती हैं। कार्यक्रम में संस्थान के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर भाग ​लिया।

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