नई दिल्ली। शिफ्ट में काम करने लोग हृदय की समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि सर्केडियम ताल में व्यवधान के कारण नियमित रूप से 9 से 5 बजे की नौकरी करने वाले लोगों की तुलना में शिफ्ट के कर्मचारी दिल की समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
लंदन के शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए प्रयोग में जैविक प्रक्रियाओं की पहचान की है जो हमारे हृदय कोशिकाओं की सर्कैडियन लय बनाते हैं। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार, घातक हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम तब बढ़ सकता है जब ये सर्कैडियन लय शिफ्ट के काम से बाधित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि हृदय कोशिकाएं सोडियम और पोटेशियम आयनों के स्तर में दैनिक परिवर्तन के माध्यम से अपने सर्कैडियन लय को नियंत्रित करती हैं। हृदय कोशिकाओं के अंदर और बाहर सोडियम और पोटेशियम आयनों के विभिन्न स्तर महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे विद्युत आवेग की अनुमति देते हैं जो उनके संकुचन का कारण बनते हैं और दिल की धड़कन को चलाते हैं।
शिफ्ट में काम करने वाले लोग असंगत घंटे काम करते हैं। इसलिए वे हृदय की समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। लंदन में एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के प्रमुख अध्ययन लेखक डॉ जॉन ओ नील ने कहा कि सर्केडियम ताल में गड़बड़ी में हृदय की कार्यप्रणाली में बदलाव के तरीके पहले की तुलना में अधिक जटिल हो जाते हैं। इस नई समझ से दिल की स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर उपचार निकल सकते हैं।
मानव शरीर के सामान्य कार्यों को सर्कैडियन लय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। एक 24 घंटे की लय या एक आंतरिक घड़ी जो यह निर्धारित करने में मदद करती है कि सोने, उठने, खाने और पचाने और यहां तक कि आपके हार्मोन को कैसे नियंत्रित किया जाए।