नई दिल्ली । दोहा में बृहस्पतिवार को होने वाले क्षेत्रीय सम्मेलन में भारत के भाग लेने की संभावना है जहां अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा को थामने एवं ठहरी हुई शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी। संबंधित घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी।
युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में लगातार बड़े क्षेत्रों पर तालिबान के काबिज होते जाने के बीच कतर इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि संघर्ष समाधान पर कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन माजिद अल-कहतानी ने पिछले सप्ताह दिल्ली यात्रा के दौरान भारत को इस सम्मेलन में भाग लने का न्योता दिया था।
कतर के विदेश मंत्री के आतंकवाद निरोधक एवं संघर्ष समाधान मध्यस्थता विषयक विशेष दूत अल-कहतानी ने अफगानिस्तान के नवीनतम घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए भारत की यात्रा की थी।
उन्होंने इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला, विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान संभाग के संयुक्त सचिव जे पी सिंह से मुलाकात की थी।
दोहा क्षेत्रीय सम्मेलन में भारत के अलावा तुर्की और इंडोनेशिया के भाग लेने की संभावना है।
कतर की राजधानी दोहा अंत: अफगानिस्तान शांति वार्ता का स्थल रहा है और यह खाड़ी देश अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अहम किरदार के रूप में उभरकर सामने आया है।
अमेरिका ने अफगानिस्तान से एक मई को अपने सैनिकों के वापस बुलाना शुरू किया था तब से तालिबान व्यापक हिंसा के जरिए तेजी से अधिकाधिक क्षेत्रों पर काबिज होता जा रहा है।
अमेरिका पहले ही अपने अधिकतर सैनिकों को बुला चुका है और वह 31 अगस्त तक सैनिकों की पूर्ण वापसी के काम को पूरा करने को लेकर आशान्वित है।
भारत अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर संबंधित पक्षों एवं महत्वपूर्ण शक्तियों के साथ अपने प्रयास में जुटा है। भारत एक ऐसी राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है जिसकी अगुवाई करने वाले अफगानी हों, वह उन्हीं के स्वामित्व एवं नियंत्रण में हो।
भारत अल्पसंख्यकों समेत अफगानिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य के सभी वर्गों से देश के सभी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए साथ मिलकर काम करने आह्वान कर रहा है ताकि अफगानिस्तान का समृद्ध एवं सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित हो।
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