कानपुर। देश की राजधानी दिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाने के इरादे से उतरी भाजपा के लिए इस बार परिस्थितियां पहले जैसी नहीं हैं। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस-आप का गठबंधन सभी सीटों पर पार्टी को तगड़ी चुनौती देता नजर आ रहा है। इस माहौल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविद केजरीवाल के अंतरिम जमानत पर बाहर आने से आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो गया है।
पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा की जीत की राह आसान रहती थी लेकिन इस बार आमने-सामने का संघर्ष होने से भाजपा के सामने जीत के लिए पिछले चुनाव की तरह 50 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करने की चुनौती है। भाजपा ने 2019 के चुनाव में 56.86 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। पार्टी को हर लोकसभा सीट पर 52 प्रतिशत से ज्यादा मत मिले थे।
इसके मुकाबले कांग्रेस को 22.51 तथा आम आदमी पार्टी को 18.11 प्रतिशत मिले थे। किसी भी सीट पर आप व कांग्रेस के मतों का जोड़ 45 प्रतिशत का आंकड़ा नहीं छू पाया था। इस तस्वीर से साफ है कि भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस-आप गठबंधन को कम से कम 10-12 प्रतिशत मत बढ़ाने होंगे। हालांकि कांग्रेस- आप गठबंधन को इस कोशिश में 2014 लोकसभा चुनाव के परिणाम हौसला बढ़ाने वाले हैं।
2014 में सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भी भाजपा का मत प्रतिशत किसी भी सीट पर 50 प्रतिशत नहीं पहुंच सका था। भाजपा को कुल मिलाकर 46.60 प्रतिशत मत ही मिले थे, जबकि कांग्रेस और आप के वोट शेयर का जोड़ 48 प्रतिशत था। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट को छोड़कर किसी भी सीट पर भाजपा को आप और कांग्रेस को मिले कुल मतों से ज्यादा वोट नहीं मिले थे। 2014 में आम आदमी पार्टी को 32.90 प्रतिशत तो कांग्रेस को 15.10 प्रतिशत मिले थे।