आरक्षण सूची में गड़बड़ी : पंचायत में अनुसूचित जनजाति परिवार ही नहीं

आरक्षण सूची को लेकर आपत्तियां दर्ज कराने का सिलसिला जारी है लेकिन बलिया में एक नए तरह की पेंच फंसा दिख रहा है। प्रशासन की रिपोर्ट को सही मानें तो वर्तमान में यहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी शून्य है। इसके बावजूद प्रधान की 53 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हुई हैं। जौनपुर, भदोही और गाजीपुर में भी इसी तरह के मामले सामने आए हैं। बलिया के 17 ब्लाकों में से 15 ब्लाकों में ग्राम प्रधान की तीन-तीन सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि दो ब्लाक नगरा व सीयर में चार-चार प्रधान पद एसटी के लिए आरक्षित हैं। यहां एसटी का प्रमाण पत्र गोंड-खरवार जाति के लोगों को ही मिला है। उदाहरण के लिए बैरिया ब्लाक में उपाध्यायपुर, बलिहार व शिवाल एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इस बीच,  20 फरवरी को बैरिया एसडीएम की ओर से जिला पंचायत राज अधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट में इन तीनों ग्राम पंचायतों के अलावा सभी ग्राम पंचायतों में एसटी की संख्या शून्य है। हालांकि वर्ष 2011 की जनगणना में उपाध्यायपुर में 150, शिवाल में 142 व बलिहार में एसटी की संख्या 291 दर्शायी गई है।

पहले से जारी प्रमाण पत्रों की सत्यता पर भी सवाल 
बैरिया एसडीएम ने वर्तमान में ब्लाक के सभी गांवों में एसटी की जनसंख्या शून्य बताते हुए यह भी स्पष्ट लिखा है कि अनुसूचित जनजाति के संबंध में कोई निर्विवाद साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। ऐसे में पहले से जारी प्रमाण पत्रों की सत्यता पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है। एसटी के लिए आरक्षित सीटों पर गोंड-खरवार समाज के लोग यदि नामांकन करते हैं तो उनके प्रमाण पत्र किस आधार पर वैध माने जाएंगे, यह यक्ष प्रश्न है। यही नहीं, पहले से जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर आरक्षण का लाभ ले रहे गोंड समाज के कई लोगों के प्रमाण पत्र निरस्त भी किए जा चुके हैं। बैरिया तहसील में तो सिपाही से एसडीएम बने श्याम बाबू को अपनी नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा। हालांकि अभी मामला न्यायालय में है।

2011 की जनगणना के आधार पर हुआ आरक्षण 
बलिया जिला पंचायत राज अधिकारी का कहना है कि सीटों का आरक्षण शासन के निर्देश पर 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। जिनके पास प्रमाण पत्र होगा, वे चुनाव में हिस्सेदारी करेंगे। यह पूछने पर कि बैरिया तहसील में तो प्रमाण पत्र से सम्बंधित एक भी साक्ष्य निर्विवाद नहीं है, ऐसे में नामांकन पत्र वैध कैसे होगा?, डीपीआरओ ने कहा कि अधिसूचना के साथ ही शासन की ओर से इस संबंध में जो भी गाइडलाइन आएगी, उस आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। पिछले चुनाव में 2011 गणना के आधार पर जिले में एसटी कोटे से प्रतिनिधि चुने गए थे।

हमारा अधिकार सुरक्षित करें : गोंड महासभा
अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा ने अनुसूचित जनजाति की संख्या शून्य दर्शाने पर आक्रोश जताया है। शुक्रवार को उन्होंने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया। जिलाध्यक्ष हरिहर प्रसाद गोंड ने कहा कि अनुसूचित जनजाति की संख्या को जनगणना 2011 के सापेक्ष शून्य दिखाकर जिला पंचायत राज अधिकारी को रिपोर्ट बैरिया एसडीएम ने भेजी है। इसी आधार पर अन्य तहसीलों में भी ऐसा किया जा रहा है। यह गोंड जाति के साथ अन्याय है।

इन जिलों में भी इस तरह के मामले आए 
गाजीपुर के मरदह ब्लाक के गाई गांव के बीडीसी वार्ड नम्बर तीन को अनुसूचित जाति हेतु रिजर्व कर दिया गया है। यहां एक भी एक भी अनुसूचित जाति के मतदाता नहीं हैं। भदोही के डीघ ब्लॉक के मझगवां को भी प्रधानी चुनाव के लिए एससी प्रत्याशी के लिए आरक्षित किया गया है, यहां भी एससी मतदाता नहीं हैं। जौनपुर के बरसठी ब्लाक के चमरहां और मुफ्तीगंज ब्लाक के काकोरी देवाकलपुर गांव को भी इसी श्रेणी में रखा गया है। गांव वाले इसके विरोध में उतर आए हैं।

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