द ब्लाट न्यूज़ । शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द फाउंडेशन के द्वारा ‘‘भारतीय संस्कृति में भगवान शिव’’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया। कालखंड के प्रथम शिव शिष्य और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहब श्री हरीन्द्रानंद जी ने कहा कि शिव समस्त विसंगतियों में संगति हैं। समस्त जगत उनका शिष्य होने की पात्रता रखता है।
शिव की ओर चलने से इतर कोई मार्ग नहीं है। वरेण्य गुरुभ्राता ने कहा कि जनमानस को शिव की ओर चलने का प्रयास करना चाहिए। वहीं फाउंडेशन की अध्यक्षा बरखा सिन्हा ने शिव के विभिन्न रूपों पर बात करते हुए कहा कि शिव का नटराज स्वरूप एक ऐसा स्वरूप है जिसमें समस्त सृष्टि के निर्माण, स्थिति और संघार की स्थिति दर्शित होती है। शिव का स्वरूप समाज में स्थापित है। उनके सभी स्वरूपों में दक्षिणामूर्ति स्वरूप उनके गुरु रूप को दर्शाता है। पटना से आए डॉ अमित ने बताया कि साहब का कथन “आओ चले शिव की ओर” एक भाव स्थिति है। यह आपके मन का शिव की ओर चलने की स्थिति है। कार्यक्रम में श्री गौतम सहित अनेक शिव शिष्यों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में लगभग 500 लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम के व्यवस्थापक श्री शिवकुमार विश्वकर्मा और कई स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपार सहयोग दिया।