द ब्लाट न्यूज़ । लोकसभा में सोमवार को कुटुंब न्यायालय संशोधन विधेयक, 2022 पेश किया गया जिसके माध्यम से हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में स्थापित कुटुंब अदालतों के अधीन की गई सभी कार्रवाइयां पूर्व प्रभाव से विधिमान्य हो सकेंगी।
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने निचले सदन में विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच यह विधेयक पेश किया। विपक्षी सदस्य महंगाई, अग्निपथ योजना सहित अन्य मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कुटुंब न्यायालय स्थापित करके विवाह और कुटुंब मामलों एवं उससे संबद्ध विषयों में सुलह और विवादों का शीघ्र समाधान करने के उद्देश्य से कुटुंब अदालत अधिनियम 1984 को अधिनियमित किया गया था। उक्त अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 3 में यह उपबंध किया गया है कि यह उस तारीख से लागू होगा जो केंद्र सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे और इसमें भिन्न-भिन्न राज्यों के लिये अलग-अलग तारीखें नियत की जा सकेंगी।
यह अधिनियम 14 सितंबर 1984 को लागू हुआ और अप्रैल 2022 की स्थिति के अनुसार, 26 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 715 कुटुंब अदालतों की स्थापना की गई है और ये कार्य कर रही हैं। इसके तहत हिमाचल प्रदेश में तीन और नगालैंड में दो कुटुंब न्यायालय हैं।
इसमें कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिमला, धर्मशाला और मंडी में 15 फरवरी 2019 की अधिसूचना के जरिये तीन कुटुंब न्यायालय स्थापित किये हैं तथा नगालैंड सरकार ने 12 सितंबर 2008 की अधिसूचना के तहत दीमापुर एवं कोहिमा में दो कुटुंब न्यायालय स्थापित किये। अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 3 के अधीन उक्त अधिनियम को इन राज्यों में प्रवृत्त करने के लिये केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी नहीं की गई थी।
इस विषय को लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई जिसमें अदालत के समक्ष यह बात रखी गई कि हिमाचल प्रदेश राज्य में कुटुंब न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार करने के लिये कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, चूंकि हिमाचल प्रदेश और नगालैंड राज्यों मे कुटुंब अदालत अपनी स्थापना की तारीख से ही कार्य कर रही हैं तथा राज्य सरकार के साथ कुटुंब अदालतों की कार्रवाइयों को विधिमान्य करना अपेक्षित है, इसलिये इस अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इसके माध्यम से इन दोनों राज्यों में कुटुंब अदालतों के अधीन की गई सभी कार्रवाइयों को पूर्व प्रभाव से विधिमान्य हो सकेगा।