द ब्लाट न्यूज़ । बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 के तहत अयोग्य करार देने की मांग करने वाली एक पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता, अधिवक्ता राम खोबरागड़े ने इस सिलसिले में पहले एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे उच्च न्यायालय ने पिछले साल छह अगस्त को खारिज कर दिया था।
याचिका के जरिये यह आग्रह किया गया था कि मोदी और शाह को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत ‘‘भ्रष्ट आचरण’’ को लेकर दोषी ठहराया जाए और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने को लेकर अयोग्य करार दिया जाए।
याचिकाकर्ता ने बाद में एक पुनर्विचार याचिका दायर की, लेकिन इसे भी 10 जून को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और उन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे उच्च न्यायालय विधिक सेवाएं उप समिति, नागपुर के बैंक खाते में जमा करने का आदेश दिया गया।
यह याचिका न्यायमूर्ति सुनिल शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की खंडपीठ ने खारिज की।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि उनके द्वारा दायर की गई याचिका चुनाव याचिका नहीं है, लेकिन इसके जरिये इस आधार पर प्रधानमंत्री मोदी एवं अन्य प्रतिवादियों को अयोग्य घेाषित करने की मांग की गई है कि वे भ्रष्ट आचरण में संलिप्त रहे थे तथा वह मोदी और अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग का रुख करना चाहते हैं।
अदालत ने कहा कि याचिकाकार्ता एक ऐसे आरोप के आधार पर प्रतिवादियों को अयोग्य घोषित कराना चाह रहे हैं, जिसमें उनके लिए उपयुक्त उपाय जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 80 के तहत उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अदालत के पास दोनों प्रतिवादियों को इस आधार पर अयोग्य घोषित करने की शक्ति है कि वे भ्रष्ट आचरण में संलिप्त रहे हैं और यह शक्ति अधिनियम की धारा 99 के तहत अदालत को दी गई है।