द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल में आई आंधी के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के मध्य में पेड़ों को हुए नुकसान पर नाराजगी जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि शहर के अधिकारियों की लापरवाही के चलते तेज हवाओं के कारण कई पेड़ गिर पड़े।
न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी ने मीरा मार्ग और विकास मार्ग क्षेत्र में पेड़ों के संरक्षण से संबंधित अवमानना के मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि सड़कों या उसके चारों ओर की मिट्टी के कंक्रीटीकरण तथा उनकी देखभाल और रखरखाव में लापरवाही के कारण पेड़ों की जड़ें कमजोर हो गई हैं।
अदालत ने कहा, “पिछले तीन दिनों में दिल्ली ने जो देखा है, उसके बाद हम ऐसा जारी नहीं रहने दे सकते। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अधिकारी। उनकी इस लापरवाही की वजह से ही शहर के बीचोंबीच जहां लोग रह रहे हैं, शहर के सैकड़ों पेड़ नष्ट हो गए हैं। ये पेड़ 40-30 साल और 50 साल पुराने हैं। क्या हो रहा है? पीडब्ल्यूडी ने आकर इन पेड़ों के गले तक अतिक्रमण कर लिया। सांस लेने के लिए जगह थी, अंदर जाने के लिए हवा नहीं थी, पानी नहीं जा रहा था। जड़ें सूख चुकी थीं। एक तूफान में सब कुछ खत्म हो गया।”
न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि “शहर पीड़ित है क्योंकि एक अधिकारी इस तरह अपना काम कर रहा है” और वह वर्तमान कार्यवाही में संबंधित अधिकारियों को अवमानना का दोषी ठहराएगा।
अदालत ने कहा कि एक अन्य मामले में, वह पहले ही लोकनिर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के दो अधिकारियों को पेड़ों के संबंध में अदालत के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना और उल्लंघन करने पर अवमानना का दोषी ठहरा चुकी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता आदित्य प्रसाद ने एक पेड़ का उदाहरण दिया जो तूफान में गिर गया और बाद में उसे काट दिया गया। अदालत ने अधिकारियों से इसकी स्थिति के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा।
अदालत ने कहा, “अब इसका कोई निशान नहीं है। इसके गायब होने का क्रम तस्वीरों में देखा जा सकता है। इस संबंध में संबंधित अधिकारी द्वारा स्पष्टीकरण दायर किया जाए।”
मामले में अगली सुनवाई तीन जून को होगी।