सम लैंगिक शादी मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण केंद्र पर हुआ…

द ब्लाट न्यूज़। समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग को लेकर लंबित याचिकाओं पर होने वाली सुनवाई के सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) की मांग पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय में हिंदू विवाह कानून और विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग को लेकर याचिकाएं लंबित है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी आौर न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने कहा कि मामले में केंद्र की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया है। मामले की सुनवाई की सिसको वेबेक्स जैसे मंचों के जरिए सीधा प्रसारण की मांग को लेकर मुंबई और बेंगलुरु के तीन लोगों की ओर से अर्जी दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान काफी भीड़ होती है, ऐसे में इसका लाइव स्ट्रीमिंग किया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई के दौरान अर्जीदाताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने पीठ को बताया कि मामले में नोटिस जारी किए हुए चार माह बीत जाने के बाद भी केंद्र ने जवाब दाखिल नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे में न्यायालय को तथ्यों के आधार पर निर्णय करना चाहिए।

केंद्र सरकार ने मुख्य याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय में कहा था कि कानून के तहत शादी सिर्फ जैविक पुरुष और महिला के बीच होने का प्रावधान है। पीठ के समक्ष सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जीवनसाथी का मतलब पति या पत्नी है और विवाह विषमलैंगिक जोड़ों से जुड़ा एक शब्द है। लिहाजा नागरिकता अधिनियम के संबंध में विशिष्ट जवाब दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ताओं में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नवतेज सिंह के मामले में पारित फैसले को लेकर गलतफहमी है। हालांकि उक्त फैसला इस मामले पर लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा मामले में सवाल है कि क्या समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। जबकि, उक्त फैसला सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का है।

यह है मामला : उच्च न्यायालय में इस मांग को लेकर दाखिल पहली याचिका में अभिजीत अय्यर मित्रा और तीन अन्य की ओर से कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के दो वयस्कों के बीच सहमति से बने अप्राकृतिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह अब भी संभव नहीं है। याचिका में हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक शादी को मान्यता देने की मांग की गई है। दूसरी याचिका में दो महिलाओं ने विशेष विवाह कानून के तहत शादी करने की अनुमति मांगी है। जबकि, तीसरी याचिका दो पुरुषों की ओर से दाखिल की गई है। दोनों पुरुषों ने अमेरिका में शादी कर ली है लेकिन विदेशी विवाह अधिनियम के तहत उनकी शादी को वहां पंजीकृत करने से इनकार कर दिया गया है। उन्होंने याचिका में दिल्ली में उनकी शादी को पंजीकृत करने की मांग की है।

 

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