चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना और उनकी उपासना की जाती है. हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी माना जाता है. हर माह में आने वाली चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 21 मार्च, सोमवार को पड़ रही है. 
गणेश भक्त इस दिन भगवान की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और पूजा आदि करते हैं. संकष्टी चतुर्थी व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों की सभी परेशानियां और दुख दूर होते हैं. आइए जानते हैं व्रत के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त- भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी सोमवार, 21 मार्च, 2022 चन्द्रोदय- रात 8 बजकर 23 पर होगा.
संकष्टी चतुर्थी महत्व – हिंदू धर्म में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है. गणेश जी को सर्वप्रथम पूजनीय देव माना गया है. यही वजह है कि हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. व्रत करने और सच्चे मन से भगवान की अराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा अर्चना से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है. इस दिन पूरा दिन उपवास रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है.
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