स्कूली शिक्षा में देशभक्ति का पाठ्यक्रम,ताकि हर नागरिक कर सके देश से सच्चा प्रेम

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विद्यार्थियों के मन में देशप्रेम पैदा करने के लिए सरकारी स्कूलों में देशभक्ति का नया पाठ्यक्रम शुरू किया है। यह पाठ्यक्रम कक्षा छह से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। आम तौर पर हमें अपने देश के प्रति प्रेम की याद तब दिलाई जाती है, जब भारत-पाकिस्तान के बीच कोई मैच हो या सीमा पर तनाव हो। रोजमर्रा के जीवन में हम अपना देश भूल जाते हैं। इसलिए देशभक्ति पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है, ताकि प्रत्येक नागरिक अपने देश से सच्चा प्रेम कर सके।

इससे बच्चे जब बड़े होंगे और किसी समय अगर वे रिश्वत लेंगे, तो उन्हें यह जरूर महसूस होना चाहिए कि उन्होंने अपनी भारत माता को धोखा दिया है। जब वे यातायात का नियम तोड़ें तो उन्हें लगे कि उन्होंने अपने देश के साथ गलत किया है। बच्चों को देश के गौरव के बारे में जरूर पढ़ाया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे को उसकी जिम्मेदारी और देश के प्रति कर्तव्यों से अवगत कराना चाहिए।

देशभक्ति के पाठ्यक्रम में ऐसी बातें शामिल हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों में बेहतर सिविक सेंस विकसित हो सके। वे अच्छे नागरिक बन सकें। देशभक्ति का मतलब यह है कि हम लाल बत्ती जंप न करें। हम इधर-उधर कूड़ा न फेंके। हम अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करें। हमारे व्यवहार में न केवल देश, बल्कि समूची मानव सभ्यता के कल्याण का भाव निहित होना चाहिए। इसके लिए पाठ्यक्रम में कुछ विशेष ज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक उद्देश्य आधारित गतिविधियों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है।

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देशभक्ति के अंतर्गत अपने काम के प्रति ईमानदारी, पर्यावरण संरक्षण, सहिष्णुता, महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव और चेतना का संचार आदि बहुत जरूरी हैं। जब से मानव सभ्यता का सूर्य उदय हुआ है तभी से भारत अपनी शिक्षा तथा दर्शन के लिए प्रसिद्ध रहा है। यह सब भारतीय शिक्षा के उद्देश्यों का ही चमत्कार है कि भारतीय संस्कृति ने संसार का सदैव पथ-प्रदर्शन किया है।

यह सच्चाई है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली ने दुनिया को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। मानव सभ्यता के कल्याण में भारतीय शिक्षा प्रणाली ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत में प्रत्येक युग में शिक्षा के उद्देश्य सामंजस्य स्थापित करने वाले रहे हैं। चरित्र का निर्माण, नागरिक और सामाजिक कर्तव्यों का विकास और संस्कृति का संरक्षण आदि भारतीय शिक्षा के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में शुमार रहे हैं।इसी दिशा में दिल्ली सरकार का कदम सराहनीय है। आशा करते हैं कि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम उभरकर सामने आएंगे। अब जरूरत इस बात की है कि दिल्ली सरकार की तरह अन्य राज्य सरकारों को भी अपने स्कूली शिक्षा में देशभक्ति का पाठ्यक्रम शामिल करना चाहिए।

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