क्यों दोनों नवनिर्वाचित विधायकों पर लगेगा जुर्माना, राज भवन ने बताया कारण

कोलकाता । बराहनगर की विधायक सायंतिका बनर्जी और भगवानगोला के विधायक रियात हुसैन सरकार को राजभवन ने पत्र भेजकर उन पर विधानसभा में शामिल होने की वजह से प्रतिदिन पांच 500-500 रुपये जुर्माना लगाने की जानकारी दी है। पत्र में राजभवन ने दोनों विधायकों के शपथ ग्रहण को असंवैधानिक करार दिया है। इस संबंध में सोमवार देर रात राज भवन ने बयान जारी करी यह भी बताया है कि आखिर विधायकों पर जुर्माना क्यों लगाया जाएगा।

सोमवार को विधानसभा में अपने कक्ष में बैठकर, स्पीकर विमान बनर्जी ने घोषणा की कि मंगलवार को उपचुनाव में विजयी चार विधायकों का शपथ ग्रहण होगा। लेकिन उसी रात, राजभवन ने बिना नाम लिए दो विधायकों के शपथ ग्रहण को असंवैधानिक घोषित कर 500-500 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगाने की बात कही। इससे मंगलवार के शपथ ग्रहण से पहले ही विवाद गहरा गया।

राजभवन ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि राजभवन के उप सचिव ने स्पीकर के कार्यालय को शपथ ग्रहण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान और योग्यता के बारे में सूचित किया है। जो विधायक संविधान के अनुसार शपथ नहीं लेंगे, उन्हें अधिवेशन में भाग लेने पर जुर्माना देना होगा। इसके साथ ही, कानून की धारा का भी उल्लेख किया गया है, जिसके तहत यह जुर्माना लगाया जाएगा। धारा 193 के तहत, यदि कोई विधायक संवैधानिक रीतियों का पालन किए बिना अधिवेशन में भाग लेता है, तो उसे प्रत्येक दिन के लिए 500 रुपये का जुर्माना देना होगा।

सोमवार को ही बराहनगर की विधायक सायंतिका बनर्जी और भगवानगोला के विधायक रियात हुसैन सरकार को राजभवन ने पत्र भेजा था, जिसमें उनके शपथ ग्रहण को असंवैधानिक करार दिया गया था। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सायंतिका और रियात विधानसभा की वोटिंग में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें क्या सजा दी जा सकती है। राज्यपाल बोस ने कुल 37 बिंदुओं का उल्लेख किया है और बताया है कि स्पीकर को राज्यपाल को दरकिनार कर शपथ ग्रहण कराने का अधिकार नहीं है। उन्होंने पत्र में सायंतिका और रियात से पूछा है कि उन्हें किसने शपथ दिलाई। साथ ही, स्पष्ट किया है कि यदि डिप्टी स्पीकर शपथ नहीं दिलाते हैं, तो यह असंवैधानिक होगा।

दरअसल जून को हुए उपचुनाव में बराहनगर से सायंतिका और भगवानगोला से रियात जीते थे, लेकिन राजभवन और विधानसभा के बीच रस्साकशी के चलते उनके शपथ ग्रहण में लगभग एक महीने की देरी हुई। पांच जुलाई को विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में स्पीकर ने शपथ ग्रहण कराया था, जबकि राज्यपाल बोस ने डिप्टी स्पीकर आशिष बनर्जी को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन डिप्टी स्पीकर ने शपथ दिलाने से इनकार कर दिया, इसलिए स्पीकर ने शपथ दिलाई।

उसके बाद‌ अब हाल ही में हुए उपचुनाव में, चार विधायकों के शपथ ग्रहण के लिए विधानसभा सचिवालय ने राजभवन को पत्र भेजा था, लेकिन राजभवन ने पलटकर पूछा कि क्या दो विधायकों के शपथ ग्रहण के दौरान उसके संवैधानिक निर्देशों का पालन किया गया था?

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