प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीकाकरण नीति पर प्रश्न उठाते हुए पोस्टर लगाने वालों के विरुद्ध दायर एफआईआर स्थगित करने की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई से मना कर दिया है। अदालत के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप यादव ने अर्जी वापस ली है। अदालत ने कहा- जिन दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, वो अदालत का रुख कर सकते हैं, पर किसी तीसरे पक्ष की याचिका पर एफआईआर स्थगित नहीं की जा सकती।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पोस्टर लगाने का केस सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा था। दिल्ली पुलिस के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर स्थगित करने की मांग की गई। साथ ही बताया गया है कि पुलिस को कहा जाए कि वो वैक्सीन पर प्रश्न उठाते हुए लगाए गए पोस्टरों अथवा विज्ञापन पर एफआईआर या कार्यवाही ना करें। याचिका में मांग की गई है कि इन एफआईआर का सारा रिकॉर्ड भी पुलिस से मंगाया जाए।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव ने बताया है कि सर्वोच्च न्यायालय पहले ही कह चुका है कि बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से मना नहीं किया जा सकता। ऐसे में यदि कोई टीकाकरण नीति पर प्रश्न उठाता है तो इस पर इस प्रकार कार्यवाही नहीं हो सकती, क्योंकि वो ये प्रश्न कर सकता है। याचिका में बताया गया है कि दिल्ली पुलिस ने एक ही दिन में 24 एफआईआर दायर कर निर्दोष व्यक्तियों को हिरासत में लिया है।
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