नई दिल्ली । दक्षिणी नगर निगम दिल्ली की स्थायी समिति की हुई बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें विरासत भवनों और परिसरों को रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस और व्यावसायिक बैकिंग जैसी गतिविधियों के प्रयोग में लाया जाएगा। इससे निगम की आय का स्रोत भी बढ़ेगा और इमारतों की मरम्मत भी हो सकेगी। निगम के अंतर्गत ऐसी 114 इमारतें आती है लेकिन फिलहाल इसकी शुरूआत एक भवन से की जाएगी, यदि भविष्य में एक कारगर साबित हुई तो अन्य भवनों पर ही ये लागू किया जाएगा। दक्षिणी नगर निगम के हेरीटेज सेल के अनुसार, निगम के अधिकार क्षेत्र में कई विरासत भवन है जो दशकों पहले बने थे, समय बीतने के साथ इन विरासत भवनों का ढांचा दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। इसके अलावा हेरिटेज सेल ने पुष्टि की है कि इन भवनों को ढहाया नहीं जा सकता। निगम ने अपनी रिपोर्ट में महरौली स्थित एक संरक्षित इमारत का जिक्र भी किया है। वहीं निगम इसकी शुरूआत इसी इमारत से करेगा। हालांकि इसके किराया तीन लाख रुपये तय किया गया है और किराए पर देकर निगम इन भवनों से आय कर सकेगा। गुरुवार को हुई दक्षिणी निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष लेफ्टीनेंट कर्नल बीके ओबराय (सेवानिवृत्त) ने इसपर जानकारी देते हुए बताया, हमने एक इमारत पर प्रयास किया है आगामी दिनों में इसके नतीजे क्या आएंगे देखते हैं। इसमें रेस्टोरेंट, कोचिंग सेंटर, अतिति गृह, एटीएम और नैदानिक प्रयोगशाला आदि उपयोग में आ सकती हैं। ये एक रेवनेयु जनरेशन प्रोग्राम है। ऐसी बहुत सारी इमारतें है, जो कि हमारे अधिकार क्षेत्र के अलावा केंद्र सरकार की संरक्षित इमारतों की सूची में है।
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