अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
महिलाएँ शक्तिशाली है- इसका अर्थ है कि महिलाएं अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में स्वीकार्यता प्राप्त कर अपना गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकती है।
नारी को समझना होगा कि बदलाव के सम्बन्ध में निर्णय उनका एकदम साफ और स्पष्ट होना चाहिए। किसी के कहने-सुनने का प्रभाव उनके निर्णय पर नहीं होना चाहिए। नारी सशक्तीकरण के लिए नारी में सामना करने की शक्ति और परखने की शक्ति अनिवार्य रूप से विकसित होनी चाहिये।
अर्थात नारी को यह पता होना चाहिए कि उसे किस बात को सहन करना है, किस बात का सामना करना है और किस बात में एडजेस्ट होना है। नारी को किसी भी बात में एडजेस्ट होकर भी शोषित नहीं होना है । यह भी महत्वपूर्ण है कि यदि कोई हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा है तब हम यह जबाब नहीं दे सकते है कि हम तो इसे सहन कर रहे हैं।
चेतना या मस्तिष्क ही स्त्री एवं पुरूषों के समानता का आधार होना चाहिए। नारी को अपने अस्तित्व एवं अधिकार को प्राप्त करने के चेतना से सम्पन्न हो।
सम्पन्न होना होगा तथा इसके साथ ही पुरूषों को भी नारी के अधिकार सौंपने के लिए चेतना से सम्पन्न होना होगा ।
नारी को समझना होगा कि बदलाव के सम्बन्ध में निर्णय उनका एकदम साफ और स्पष्ट होना चाहिए, किसी के कहने-सुनने का प्रभाव हमारे निर्णय पर नहीं होना चाहिए। नारी को इस सन्दर्भ में किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। लेकिन प्रायः लोगों को अपने निर्णय को लेकर संदेह होता है कि यदि हमारा निर्णय गलत होगा तब क्या होगा? नारी को अपने आत्म विश्वास में वृद्धि करना होगा। आत्म विश्वास के आधार पर पुरूष भी नारी पर विश्वास करेगा ।
कहना न होगा कि महिला सशक्तिकरण एक मूल्यात्मक अवधारण है। आत्म विश्वास, स्वमान, इच्छाशक्ति, समर्थ संकल्प इत्यादि नारी सशक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण मूल्य हैं। महिलाओं को अपने सशक्तिकरण के लिए अपने जीवन में जीवन मूल्य को स्थापित करना होगा तभी महिलाएं आन्तरिक रूप से शक्तिशाली होती हैं ।
नारी सशक्तीकरण की प्रक्रिया में मानसिक और आत्मिक शक्ति के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिये ।