सीतापुर: कांग्रेस-सपा गठबंधन में आखिरकार कांग्रेस ने बुधवार देर रात लिस्ट जारी कर सीतापुर लोकसभा सीट पर नकुल दुबे को अपना प्रत्याशी बनाया है। नकुल दुबे सीतापुर से 2019 का लोकसभा चुनाव भी बसपा के सिंबल पर लड़े थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। नकुल दुबे पिछले 15 सालों के राजनीतिक करियर में एक बार ही विधायक बने और उस दौरान ही बसपा सरकार में वह मंत्री भी रहे। इसके साथ वह चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन जीत का सेहरा उनके सिर नही सज सका है। सीतापुर जिले में कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने के लिए कांग्रेस के एक बार फिर नकुल दुबे पर दांव खेला है। अब देखना होगा कि कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड सीतापुर लोकसभा सीट पर भाजपा के राजेश वर्मा के सामने कितना हावी होता है।
बताते चले कि दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी नकुल दुबे लगातार राजनीति में सक्रिय रहे। नकुल दुबे से प्राथमिक शिक्षण कार्य के बाद एलएलबी कर लखनऊ हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। इसके बाद राजनीति करियर की शुरुआत में वह वर्ष 2007 में महोना से बसपा के सिंबल पर विधायक बने थे। बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नकुल दुबे को सीतापुर का लोकसभा प्रभारी बनाया गया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में नकुल दुबे लखनऊ से मैदान में एक बार फिर उतरे थे, यहां पर भाजपा के राजनाथ सिंह ने जीत दर्ज कर बसपा के नकुल दुबे को तीसरे स्थान पर पहुंचाया था। सीतापुर की लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाने से पूर्व बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने भी कांग्रेस से टिकट की दावेदारी जोरशोर से शुरू कर दी थी।
पार्टी हाईकमान से देर रात लिस्ट जारी होते ही टिकट की दावेदारी में अपना पसीना बहा रहे कांग्रेस के दिग्गज लोकल नेताओं को मायूसी हाथ लगी है। अब देखना यह होगा कि टिकट को लेकर चल रही घमासान चुनाव में कहीं भीतरघात बनकर कांग्रेस प्रत्याशी नकुल दुबे को नुकसान कितना पहुंचाती है।