फर्रुखाबाद। हर व्यक्ति के जीवन में एक महिला का खास योगदान होता है। कभी बेटी बनकर, कभी बहु तो कभी मां बन कर वो सबका साथ निभाती है।ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां महिलाओं ने अपना परचम न लहराया हो। मगर फिर भी महिलाओं को कम समझा जाता है। इन्ही सब रूढ़िवादी विचारधारणा को बदलने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में यह दिन महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उदेश्य महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूती प्रदान करना और उनको शिक्षा के प्रति बढ़ावा देना। शिक्षा के जरिये ही महिलाओं के प्रति फैली कुरीतियों को बदला जा सकता है, और देश को प्रगति की राह दिखाई जा सकती है। कहने को आज महिलाएं किसी से भी पीछे नहीं है मगर आज भी कुछ पिछड़े इलाकों और समुदायों में महिलाओं की स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है, ऐसे में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है। इसी क्रम में एक महिला हैं मनोरमा कनौजिया जो कन्या पूर्व माध्यमिक विधालय बढपुर नगर क्षेत्र में सहायक अध्यापक पद पर तैनात हैं इनका चयन राज्य अध्यापक पुरुस्कार के लिए हुआ है। मनोरमा कहती हैं मैवह इस विद्यालय में 2007 से सहायक अध्यापक पद पर जब से इस विद्यालय में तैनाती पाई उसके बाद उन्होंने देखा शिक्षा का स्तर थोड़ा कम था। बच्चे भी कम आते थे तब उन्होंने शिक्षा का स्तर सुधारने और बच्चों की संख्या बढ़ाने का प्रयत्न किया। बच्चों को खेल खेल में शिक्षा और गीत संगीत सिखाया इसके बाद बच्चों की संख्या बढ़ गई। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं। एक बेटा मल्टी नेशनल कंपनी गुड़गावं में एचआर के पद पर नौकरी तो दूसरा स्नातक कर रहा है। उन्हें मलाल है कि उनके कोई बेटी नहीं है। जिससे बेटियों के प्रति काफी लगाव रहा है। मनोरमा बताती है कि विद्यालय में एक पूजा नाम की लड़की पढ़ती थी, उसी समय उसके पिता की मृत्यु कैंसर के कारण हो गई। उसकी मां उसकी पढ़ाई नहीं कराती थी। मुझे जब पता चला तो मैंने उसकी मां से बात की और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया। आज उसकी शादी हो चुकी है, और वह नोयडा में रह रही है। मनोरमा कहती हैं कि उन्होंने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’, मीना मंच के माध्यम से अपने स्कूल के बच्चों के साथ मिलकर रैली निकाली। लोगों को कन्या भ्रूण हत्या बेटियां भार नहीं हैं न जाने कितने ऐसे काम रहे जिनको किया। जनपद में तैनात रहे मुख्य विकास अधिकारी डॉ राजेन्द्र पैन्सिया के मार्गदर्शन से और स्कूल की अध्यापिकाओं ने बेटियों के क्षेत्र में काम किया। इसके लिए सीडीओ द्वारा मेरे कामों की प्रशंसा की गई। और उनका नाम राज्य अध्यापक पुरुस्कार के लिए भेजा गया जिसमें चयन भी हो गया है। स्वास्थ्य विभाग में जिला कार्यक्रम प्रबंधक के पद पर तैनात कंचन बाला ने जिले 2016 में कार्य करना शुरू किया तब जिले की परिस्थितियां भिन्न थी आज उनके प्रयासों से और सीएमओ डॉ. वंदना सिंह के दिशा निर्देशों के कारण जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में काफी प्रगति हुई है। कंचन बाला कहती हैं आज जिला प्रधानमंत्री मात्र वंदना योजना हो या परिवार नियोजन की सेवाओं के मामले या गोल्डन कार्ड बनाना हो हर कार्य में जिला उन्नति की ओर है। कंचन बताती हैं कि परिवार नियोजन की सुबिधाओं को समाज तक सही तरह से उपलब्ध कराने के कारण पिछले वर्ष मंडल में उन्हें सम्मानित भी किया गया था। पिछले वर्ष परिवार नियोजन में जनपद की उपलब्धि एक अप्रैल 19 से 31 मार्च 20 तक जनपद में 765 महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, 4235 कापर टी, 5215 प्रसव बाद कापर टी, 1745 त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा और 10252 साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया का वितरण किया गया।