मां बाप बेटे का सेहरा सजाने की तैयारी कर रहे थे।उससे पहले आई उसके बलिदान होने की खबर

• शहीद होने से पहले सचिन लौर ने फोन कर परिवार के लोगों से मंगवाया था तिरंगा झंडा, फिर घर पर फेहरवाया था झंडा

• दो आतंकवादी और बचें हैं इन्हें मारकर ही शादी की छुट्टी लेकर घर आऊंगा: पिता से फोन पर बोला था शहीद हुआ बेटा

अलीगढ़,ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में 22 नवंबर सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। आतंकियों के साथ हुई इस मुठभेड़ में अपना देश के लिए जान न्योछावर करते हुए अपना बलिदान देने वाले थाना टप्पल इलाके के नगरिया गौरौला गांव निवासी 24 वर्षीय सचिन लौर साल 2019 में सेना में भर्ती हुए थे। फिलहाल घाटी में भारतीय सेना की विशेष यूनिट नौ में पैरा ट्रूपर के पद पर सचिन लौर तैनात थे। जहां सचिन लौर की आठ दिसंबर को मथुरा जिले के थाना माठ क्षेत्र के गांव जेतई निवासी लड़की के साथ शादी होने वाली थी। जिसके चलते घर में शादी की तैयारियां चल रही थी। लेकिन उनके शहीद होने की सूचना से घर और गांव में मातम पसरा हुआ है। तो वही हर किसी आंखें नम है। हालांकि जवान के शहीद होने की सूचना के बाद उसके पार्थिव शरीर को शुक्रवार को सेना के जवानों द्वारा गांव लाया जाएगा। पार्थिव शरीर लाये जाने की सूचना पर गांव के लोगों सहित आसपास के कई गांव के लोगों का जमावड़ा अंतिम बार शाहिद जवान के पार्थिव शरीर को देखने के लिए मौके पर इकट्ठा हुआ है। जहां उनका सैन्य सम्मान के साथ जवानों द्वारा सलामी देते हुए अंतिम संस्कार किया जाएगा।

वही सेना में भर्ती जवान बेटे सचिन लोर के शहीद होने के बाद उनके बेटे के पार्थिव शरीर को गांव ले जाने से पहले उनके पिता रमेश चंद ने बताया कि उनके शहीद हुए बेटे सचिन लोर की तैनाती जम्मू कश्मीर घाटी में भारतीय सेना की विशेष यूनिट नौ में पैरा ट्रूपर के पद पर तैनात थे। जहां 22 नवंबर की देर शाम करीब 8:00 बजे परिवार के लोगों की अपने बेटे सचिन लोर से फोन पर बात हुई थी। इस पर पिता ने उससे कहा था कि छुट्टी आ जा तू, वही लगा रहेगा, 8 दिसंबर को तेरी शादी भी है।

इस पर उसके जवान बेटे ने कहा कि पापा अभी दो आतंकवादी और रह गए हैं। उन दोनों बचें आतंकवादियों को अपनी गोलियों से सुलटाने के बाद ही वापस आऊंगा। इसके बाद सुबह करीब 7:15 बजे परिवार के लोगों के पास फोन पर उसका मैसेज आया और मैसेज में उसने कहा कि मैं घाटी में सही हूं ओर घर पर भी सब सही से रहो ओर यहां किसी तरह की भी उसे कोई दिक्कत नहीं है। वही 21 नवंबर को उसने परिवार के लोगों से कहा कि अभी तिरंगा झंडा मंगाकर उस तिरंगे झंडे को घर के ऊपर फहराओ। जिसके चलते परिवार के लोगों द्वारा उसके कहने घर के ऊपर झंडा फहराया गया था वही उसके द्वारा अन्य सामान को लेकर भी व्हाट्सएप किया गया था व्हाट्सएप किए गए सामान को भी परिवार के लोगों द्वारा उसके कमरे में लाकर रख दिया था।

 

वहीं पिता रमेश चंद ने बताया कि उनका बेटा सचिन लोर कक्षा 6 से ही परिवार के लोगों से कहता था कि देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होऊंगा ओर सेना में भर्ती होकर कमांडो बनूगा। और उसके बाद सेना में भर्ती होकर उग्रवादियों और आतंकवादियों को देखा करूंगा ओर अपनी गोलियों से मारा करूंगा। पिता ने बताया कि ऊंची कद काठी के शरीर से तंदुरुस्त उसके बेटे सचिन लौर में अपनी जान को लेकर कोई खौफ ओर डर नाम की उसमें कोई चीज ही नहीं थी। कमांडो होने के बाद जब भी वह छुट्टी पर गांव आता था। इसके बाद भी गांव आकर भी रोजाना दौड़ लगाता था।

वहीं 8 दिसंबर को उसकी शादी थी। शादी को लेकर परिवार के लोग तैयारी में जुटे हुए थे। दुल्हन बेटी के परिवार के लोगों द्वारा शादी में गाड़ी दिए जाने को लेकर उसके परिवार के लोगों द्वारा रविवार को गाड़ी भी मंगाकर घर खड़ी कर ली थी। वहीं उसने बताया था कि वह पंजाब जाएगा इस पर उसके पिता ने उससे कहा कि शादी में दिन कितने बच रहे हैं और पंजाब जाकर तुझे दो-चार दिन का टाइम ओर लग जाएगा। इस पर उसने अपने पिता से कहा कि इन बचें हुए दो आतंकवादियों को शहीद करने के बाद ही घर वापस आऊंगा। वहीं उन्होंने हवाई से लेकर शादी के कार्ड बांटने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। मां बाप अपने बेटे का सेहरा सजाने की तैयारी कर रहे थे। जहां 23 नवंबर की सुबह आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उसके शहीद होने की खबर सेना के अधिकारियों द्वारा परिवार के लोगों को दी गई। बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार में चीख पुकार मच गई। तो गांव में बेटे की मौत की खबर सुनकर मातम पसर गया। बेटे के शहीद होने की खबर के बाद परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है।तो वहीं शादी के कार्ड घर के अंदर धरे के धरे रह गए।

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