उत्तर प्रदेशः इन 15 सीटों पर उम्मीदवार क्यों उतारना चाहती है समाजवादी पार्टी?

उत्तर प्रदेशः मिशन-24 में जुटी समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 15 सीटों पर नवरात्रि तक उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इसके संकेत में भी दिए हैं. एक सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा कि हमने बीजेपी के बड़े नेताओं को हराने का प्लान बना लिया है. नवरात्रि आते ही वीआईपी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार देंगे.

समाजवादी पार्टी ने यूपी में लोकसभा की 50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सपा ने बकायदा इसकी घोषणा भी की थी. सपा को 2004 में यूपी की सबसे ज्यादा 35 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.

उस वक्त उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पार्टी की सरकार थी. अखिलेश के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी को 2019 में सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी. सपा इस बार इंडिया गठबंधन में शामिल है और पार्टी को पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बेहतरी की उम्मीद है.

10 सीटों पर नाम तय, 20 के लिए छंटनी जारी
सपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान ने लोकसभा की 10 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं, जबकि 20 सीटों पर नामों को लेकर माथापच्ची जारी है. इन 20 सीटों के लिए 2-2 उम्मीदवारों की एक लिस्ट तैयार की है.

जिन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए गए हैं, उनमें कुछ सीटें ऐसी भी है, जहां पर सपा पिछले 3 चुनाव से लगातार हार रही है. सपा इस बार लोकसभा सीट जीतने के लिए कुछ विधायकों को भी मैदान में उतारने की तैयारी में है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शिवपाल यादव और आजम खान को लेकर पार्टी हाईकमान ने कोई भी फैसला नहीं किया है. 2024 में शिवपाल चुनाव लड़ेंगे या उनका बेटा, यह फैसला शिवपाल को ही लेना है.

वहीं आजम खान चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर कानूनी जानकारों से पार्टी राय ले रही है. अखबार के मुताबिक रामपुर और उसके आसपास की एक सीट पर आजम खान की सिफारिश को सपा तरजीह देगी.

इन वीआईपी सीटों को घटक दल को देने की रणनीति
सपा ने यूपी की वीआईपी सीटों को 2 कैटेगरी में बांटा है. पहले कैटेगरी में उन सीटों को रखा है, जहां उसका दबदबा ठीक-ठाक है. वहीं दूसरे कैटेगरी में ऐसे सीटों को रखा है, जहां उसकी स्थिति स्थापना के बाद से ही ठीक नहीं है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक समाजवादी पार्टी ने इस बार 19 ऐसी सीटों का चयन किया है, जहां स्थापना के बाद से ही पार्टी कभी जीत नहीं पाई.

इनमें बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, हाथरस, बरेली, कानपुर, पीलीभीत, धौरहरा, गोंडा, बस्ती, वाराणसी, सुल्तानपुर और लखनऊ प्रमुख रूप से शामिल हैं.

सपा सूत्रों का कहना है कि दूसरे कैटेगरी की सीटों पर सपा दावा नहीं करेगी. सपा वाराणसी, कानपुर और नोएडा कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है, जबकि बागपत, मथुरा, गाजियाबाद जयंत चौधरी के हिस्से में देने की तैयारी है.

पहली लिस्ट में यहां घोषित होंगे उम्मीदवार?
1. लखनऊ- 1991 से यहां भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत रही है. वर्तमान में यहां से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से सांसद हैं. 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी यहां दूसरे स्थान पर रही थी. पार्टी उम्मीदवार पूनम सिन्हा को करीब 2 लाख 86 हजार वोट मिले थे.

2022 में लखनऊ की 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर सपा ने जीत हासिल की थी. लखनऊ में सपा इस बार स्थानीय और मजबूत उम्मीदवार को तरजीह दे सकती है. हाल ही के मेयर चुनाव में सपा के प्रत्याशी को लेकर पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू हो गया था, जिसके बाद खुद अखिलेश यादव को हस्तक्षेप करना पड़ा.

2. प्रयागराज– बीजेपी के कद्दावर नेता रीता बहुगुणा जोशी अभी इस सीट से सांसद है. समाजवादी पार्टी यहां आखिरी बार 2009 में चुनाव जीती थी. प्रयागराज सीट बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पिछले चुनाव में जोशी ने सपा के राजेंद्र पटेल को 1 लाख 84 हजार वोटों से हराया था.

2022 के चुनाव में प्रयागराज की 5 में से 1 सीट पर सपा जीतने में सफल हुई थी. 3 सीट बीजेपी और 1 सीट अपना दल के खाते में गई थी. प्रयागराज सीट पर सपा से इस बार एक बॉलीवुड अभिनेता के चुनाव लड़ने की चर्चा है. हालांकि, रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी भी यहां से टिकट के दावेदार हैं.

3. गोरखपुर- गोरखनाथ मठ का गढ़ गोरखपुर सीट पर भी समाजवादी पार्टी नवरात्रि तक उम्मीदवार का ऐलान कर सकती है. इस सीट से वर्तमान में रवि किशन शुक्ला सांसद हैं. 2018 के उपचुनाव में यहां पर सपा को जीत मिली थी.

2019 में सपा के राम निषाद दूसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें 4 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. इस बार भी यहां अखिलेश यादव निषाद कार्ड खेल सकते हैं. 2018 के उपचुनाव को छोड़ दें तो गोरखपुर सीट से 1991 से बीजेपी को जीत मिल रही है.

4. बलिया- पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की परंपरागत बलिया सीट पर 2009 में आखिरी बार सपा को जीत मिली थी. 2014 से यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार जीत रहे हैं. भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त यहां से अभी सांसद हैं.

2019 में मस्त ने सपा के सनातन पांडे को 15 हजार वोटों से हराया था. सपा इस बार यहां पहले उम्मीदवार उतारकर बीजेपी का खेल करने की तैयारी में है. 2022 में सपा को बलिया लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की 5 में से 3 सीटों पर जीत मिली थी.

बलिया से इस बार पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी सबसे बड़े दावेदार हैं.

5. बरेली- उत्तर प्रदेश की बरेली सीट भी बीजेपी का गढ़ है. 2009 को छोड़ दिया जाए तो पार्टी के संतोष गंगवार यहां पर 1989 से चुनाव जीत रहे हैं. 2009 में कांग्रेस के प्रवीण आरोन ने उन्हें हराया था. 2019 में संतोष गंगवार ने सपा के भगवत शरण गंगवार को 1 लाख 97 हजार वोटों से हराया था.

2022 में सपा ने बरेली लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से एक पर जीत हासिल की थी. बरेली सीट पर भी उम्मीदवार की घोषणा सपा नवरात्रि से पहले कर सकती है.

6. इटावा– मुलायम सिंह का गृह जिला इटावा ही है. यहां पर 2009 में समाजवादी पार्टी को आखिरी बार जीत मिली थी. 2019 में बीजेपी के रमाशंकर कठेरिया ने सपा के कमलेश कठेरिया को 67 हजार वोटों से हराया था.

शिवपाल यादव के साथ आने के बाद सपा अपने पुराने गढ़ को जीतने में जुटी है. माना जा रहा है कि पहली सूची में इस बार इटावा सीट के उम्मीदवार का भी नाम शामिल हो सकता है.

हालांकि, एक चर्चा इटावा से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चुनाव लड़ाने की भी है. इटावा सीट दलितों के लिए रिजर्व है.

7. पीलीभीत– उत्तर प्रदेश में बीजेपी का यह मजबूत किला माना जाता है. वरुण गांधी अभी यहां से सांसद हैं, जो लगातार पार्टी हाईकमान पर ही हमलावर रहते हैं. 2019 में वरुण गांधी ने सपा के हेमराज वर्मा को 2 लाख 55 हजार वोटों से हराया था.

2022 में सपा ने पीलीभीत लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से एक पर जीत हासिल की थी. पीलीभीत में मजबूत टक्कर देने के लिए यहां भी नवरात्रि में उम्मीदवार की घोषणा होने की चर्चा है.

8. मोहनलालगंज- 2009 तक मोहनलालगंज सीट सपा का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2014 में बीजेपी के कौशल किशोर ने यहां से जीत हासिल की. किशोर अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं. 2019 में सपा ने यह सीट बीएसपी को दे दिया था. बीएसपी सिंबल पर चुनाव लड़े सीएल वर्मा अभी सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं.

इस सीट पर भी नवरात्रि तक सपा उम्मीदवार उतार सकती है. सीएल वर्मा टिकट की रेस में सबसे आगे हैं.

9. कौशांबी- 2014 से कौशांबी सीट पर भी बीजेपी का कब्जा है. पार्टी के विजय सोनकर लगातार 2 बार से सांसद हैं. 2019 में सोनकर ने सपा के इंद्रजीत सरोज को 38 हजार वोटों से हराया था. यहां पर जनसत्ता दल भी काफी मजबूत स्थिति में है.

कौशांबी लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल 5 सीटें हैं. इनमें से 3 पर सपा और 2 पर जनसत्ता दल का कब्जा है. कौशांबी से इस बार भी इंद्रजीत सरोज के चुनाव लड़ने की चर्चा है. सरोज वर्तमान में कौशांबी के मझगांव से विधायक भी हैं.

सपा की पहली सूची में इस सीट के उम्मीदवार के नाम होने की भी अटकलें हैं.

10. फैजाबाद- समाजवादी पार्टी को इस सीट पर आखिरी बार 1998 में जीत मिली थी. 2014 से यहां पर बीजेपी का कब्जा है. फैजाबाद सीट के अंदर ही अयोध्या है. 2019 में बीजेपी के लल्लू सिंह ने सपा के आनंद सेन को 65 हजार वोटों से हराया था.

2022 में बीजेपी को फैजाबाद लोकसभा के अंदर आने वाली 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, कांग्रेस के निर्मल खत्री को करीब 54 हजार वोट मिले थे. सपा ने अयोध्या सीट के लिए कद्दावर नेता अवधेश प्रसाद को प्रभारी बनाया है.

यहां से पार्टी इस बार किसी ब्राह्मण नेता को मैदान में उतार सकती है.

11. चंदौली- मोदी सरकार में मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय अभी चंदौली से सांसद है. पिछले चुनाव में पांडेय ने इस सीट पर सपा के संजय चौहान को 13 हजार वोटों से हराया था. सपा इस बार यहां पहले उम्मीदवार उतारकर मजबूत टक्कर देने की तैयारी में है.

चंदौली सीट पर आखिरी बार सपा 2009 में जीत मिली थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को चंदौली की एक सीट पर जीत हासिल हुई थी.

यहां उम्मीदवार लगभग तय, नाम आना बाकी
फिरोजाबाद सीट पर सपा ने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है. यहां बस औपचारिक नाम आने की देरी है. हाल ही में फिरोजाबाद सीट से शिवपाल यादव ने राम गोपाल के बेटे अक्षय यादव के नाम की घोषणा की थी.

2019 में अक्षय फिरोजाबाद सीट से चुनाव हार गए थे. उन्हें सपा के चंद्रसेन जादौन ने 28 हजार वोटों से हराया था.

मैनपुरी सीट पर भी डिंपल यादव का चुनाव लड़ना लगभग तय है. 2022 उपचुनाव में डिंपल ने यहां से जीत हासिल की थी. डिंपल को मैनपुरी में सपा ने मुलायम का उत्तराधिकारी बताया था. 2019 में मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी में जीत मिली थी. मैनपुरी सपा का गढ़ माना जाता है.

इसी तरह मुरादाबाद सीट से सीटिंग सांसद एसटी हसन का भी चुनाव लड़ना लगभग तय है. 2019 में हसन ने बीजेपी के उम्मीदवार को 97 हजार वोटों से हराया था. 2022 में मुरादाबाद की 3 सीटों पर सपा को जीत मिली थी

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