बांग्लादेशी विदेश मंत्री बोले- हत्यारों की पनाहगाह बन चुका है कनाडा

कनाडा: प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अलगाववादी खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में पहले भारत पर बेतुके आरोप लगाये फिर अपने आरोपों पर पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल करना चाहा लेकिन दोनों ही मामलों में उन्हें ऐसा पलटवार मिला कि वह बगलें झांकने को मजबूर हो गये। भारत ने जहां निज्जर की हत्या में हाथ होने के आरोप को बेबुनियाद करार देते हुए कनाडा को आतंकी तत्वों की सबसे सुरक्षित पनाहगाह करार दे दिया तो पश्चिमी देशों ने भी भारत से सिर्फ जांच में सहयोग करने को कहा। इसके अलावा भारत ने इस मामले को लेकर जो बड़ा कूटनीतिक अभियान छेड़ा उसके परिणाम आने भी लगे हैं। इसके तहत एक तो कनाडा के प्रधानमंत्री के सुर बदल रहे हैं तो दूसरी ओर एक-एक करके कई और देश कनाडा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। हाल ही में हमने देखा कि श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भारत का साथ देते हुए कनाडा को जमकर लताड़ा था। अली साबरी ने कहा था कि कुछ आतंकवादियों को कनाडा में सुरक्षित ठिकाना मिल गया है। उन्होंने कहा था कि कनाडाई प्रधानमंत्री के पास बिना किसी सबूत के कुछ अपमानजनक आरोप लगाने का यही तरीका है।

अब बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कनाडा पर जमकर हमले किये हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्री का बयान दर्शाता है कि मोदी सरकार ने वैश्विक कूटनीति का परिदृश्य ही बदल दिया है और अब मुद्दा कोई भी हो, भारत के साथ खड़े होने के लिए विभिन्न देश तुरंत लाइन लगा लेते हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कनाडा की प्रत्यर्पण नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा है कि हालात ऐसे हो गये हैं कि आप अपने देश में मर्डर करके कनाडा भाग जाइये और वहां ऐश की जिंदगी गुजारिये। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के स्वयंभू हत्यारे नूर चौधरी के प्रत्यर्पण से कनाडा बार-बार तमाम तरह के बहाने बनाकर इंकार करता रहा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का मोस्ट वांटेड कनाडा में ऐश की जिंदगी गुजारता रहा। हम आपको बता दें कि एक विशेष साक्षात्कार में बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने दावा किया है कि कनाडा हत्यारों की पनाहगाह बन गया है। हत्यारे कनाडा जा सकते हैं, शरण ले सकते हैं और शानदार जीवन जी सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हत्यारों ने जिन्हें मार डाला उनके रिश्तेदार पीड़ित होते हैं लेकिन कनाडा दोषियों को बचाता रहता है। उन्होंने कहा कि कनाडा के पास तमाम तरह के बहाने हैं जैसे वह कहता है कि हम उस देश में किसी का प्रत्यर्पण नहीं कर सकते जहां मृत्युदंड का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि हमारी न्यायपालिका बहुत स्वतंत्र है और सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। लेकिन नूर चौधरी के पास आजीवन कारावास की सजा की गुंजाइश है। अगर वह बांग्लादेश वापस आते हैं, तो नूर चौधरी और राशिद चौधरी, देश के राष्ट्रपति से दया की मांग कर सकते हैं और राष्ट्रपति उनकी दया याचिका मंजूर कर इसे फांसी से उम्रकैद की सजा में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मानवाधिकार की अवधारणा का दुरुपयोग करते हैं। कनाडा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मानवाधिकार का मुद्दा उठाकर हत्यारों और आतंकवादियों को बचाना फैशन बन गया है।

जहां तक जस्टिन ट्रूडो के तेवर में नरमी आने की बात है तो आपको बता दें कि अब उन्होंने कहा है कि उनका देश भारत के साथ करीबी संबंध स्थापित करने को लेकर ‘‘बहुत गंभीर’’ है, क्योंकि उसकी आर्थिक ताकत बढ़ रही है और वह एक अहम भूराजनीतिक भागीदार है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि वह चाहते हैं कि भारत खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए कनाडा के साथ मिलकर काम करे।

हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से कनाडा के मुद्दे पर चर्चा की। विदेश मंत्री जयशंकर से वाशिंगटन में थिंक-टैंक ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ में पूछा गया था कि क्या विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में ब्लिंकन के साथ उनकी बैठक के दौरान कनाडाई आरोपों का मुद्दा उठा था। इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हां, मैंने ऐसा किया था।’’ जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी पक्ष ने इस पूरी स्थिति पर अपना आकलन साझा किया और उन्होंने अमेरिकियों को भारत की चिंताओं का सारांश समझाया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उम्मीद है कि हम दोनों बेहतर जानकारी लेकर आएंगे।’’ हम आपको यह भी बता दें कि इस मुलाकात के बाद ब्लिंकन ने पत्रकारों से कहा था कि वह उम्मीद करते हैं कि कनाडा और भारत इस मुद्दे को हल कर लेंगे। ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम इसे लेकर कनाडा के बहुत करीबी संपर्क में हैं। साथ ही हमने भारत सरकार से बात की है और उनसे जांच में कनाडा का सहयोग करने का अनुरोध किया है। मुझे विदेश मंत्री जयशंकर के साथ हुई बैठक में फिर से ऐसा करने का मौका मिला था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो भी दोषी हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए और हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा तथा भारत में हमारे मित्र इस मामले को हल करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।’’

इस बीच, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि भारत और कनाडा की सरकार को एक-दूसरे से बात करनी होगी और यह देखना होगा कि वे खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की मौत हो लेकर अपने मतभेदों को कैसे हल करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद, चरमपंथ और चुनावी हस्तक्षेप को ‘‘अनुमति देने’’ के सबसे बड़े मसले को हल करना होगा। वाशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि भारत ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता के कनाडा के आरोपों के संबंध में सूचना पर विचार करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘मामला यह है कि कनाडा ने कुछ आरोप लगाए हैं। हमने उन्हें बताया है कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है, लेकिन अगर वे कोई विशिष्ट सूचना तथा कुछ भी प्रासंगिक जानकारी हमारे साथ साझा करने के लिए तैयार हैं, तो हम भी उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं। इसलिए पूरा मामला यह है।’’

जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से भारत के कनाडा और उसकी सरकार के साथ कुछ मतभेद चल रहे हैं और समस्या आतंकवाद, चरमपंथ तथा चुनावों में हस्तक्षेप के संबंध में ‘‘अनुमति देने’’ के इर्दगिर्द केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अनुमति इस बात से भी पता चलती है कि प्रत्यर्पण के कुछ महत्वपूर्ण अनुरोधों पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया, जबकि कुछ ऐसे लोग तथा संगठन हैं, जो भारत में साफ तौर पर हिंसा और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं और उन्होंने खुद भी यह बात मानी है। मेरा मतलब है कि यह कोई छिपी बात नहीं है और वे कनाडा में अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि एक समस्या यह भी है कि कोई घटना अलग नहीं होती। उन्होंने कहा, ‘‘वहां कई समस्याएं हैं। इसलिए मुझे लगता है कि किसी एक घटना के मामले में संबंधित सरकारों को एक-दूसरे से बात करनी होगी और यह देखना होगा कि वे इसे किस प्रकार हल करते हैं।’’

जयशंकर ने बताया कि उन्होंने भारत और कनाडा के बीच चल रहे कूटनीतिक विवाद के बारे में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे जरूरी बात यह है कि कनाडा में हमारे राजनयिक मिशन और हमारे दूतावास कर्मियों को इस हद तक लगातार धमकाया गया है कि आज उनके लिए वहां काम करना सुरक्षित नहीं है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जाहिर है कि हमें अपनी वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित करनी पड़ीं, जो करना हमें पसंद नहीं है। उन्होंने हमारे लिए उन सेवाओं का संचालन करना बहुत मुश्किल बना दिया है।’’ यह पूछने पर कि क्या इस मुद्दे को हल करने के लिए भारत और कनाडा के बीच गतिरोध है,

जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मैं गतिरोध शब्द का इस्तेमाल करूंगा या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि भारत का मुद्दा यह है कि आज हिंसा और धमकी का माहौल है। जयशंकर ने कहा, ‘‘इसके बारे में सोचिए। हमारे दूतावास पर स्मोक बम फेंके गए। हमारे वाणिज्य दूतों के सामने हिंसा की गई। लोगों को निशाना बनाया गया और उन्हें धमकी दी गई। कुछ लोगों के बारे में पोस्टर लगाए गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताएं कि क्या आप इसे सामान्य मानते हैं? अगर यह किसी और देश में हुआ होता, तो वे इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते? मुझे लगता है कि यह सवाल पूछा जाना चाहिए। कनाडा में जो हुआ, उसे सामान्य न समझें। कनाडा में जो हो रहा है, क्या वह कहीं और भी हुआ है, आपको लगता है कि दुनिया इस पर संयम बरतेगी?’’ जयशंकर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राजनयिकों को धमकी देना स्वीकार्य नहीं है।

विदेश मंत्री ने पूछा, ‘‘हमें अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में दूसरे लोगों से सीखने की जरूरत नहीं है। लेकिन हम लोगों को यह बता सकते हैं। हमें नहीं लगता कि अभिव्यक्ति की आजादी हिंसा भड़काने तक फैली हुई है। हमारे लिए यह आजादी का दुरुपयोग है। यह आजादी की रक्षा नहीं है। मैं हमेशा लोगों से एक सवाल पूछता हूं कि अगर आप मेरी जगह होते, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? यदि यह आपके राजनयिक, आपके दूतावास, आपके लोग होते, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती?’’ जयशंकर ने कहा कि अगर भारत को किसी चीज पर गौर करने की जरूरत है, तो वह उसके लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पूरी बहस केवल एक मुद्दे पर केंद्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उस वृहद परिदृश्य पर भी चर्चा होनी चाहिए, जो कुछ वक्त से जारी है और बहुत गंभीर है।

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