द ब्लाट न्यूज़ अजमेर राजस्थान के अजमेर में इस्लामिक कलैंडर के नये साल हिजरी सन् 1445 के साथ ही मोहर्रम का भी आगाज होगा। चांद दिखाई देने पर पहली मुहर्रम जिल्काद-1 से शुरु होगा। ख्वाजा की नगरी अजमेर में मोहर्रम की तैयारियां शुरू हो गई है। दरगाह शरीफ में ताजिया बनाने का काम अंजुमन की ओर से किया जा रहा है। मोहर्रम की एक तारीख को गरीब नवाज गेस्टहाउस से लंगरखाना गली तक चौकी का जुलूस निकाला जायेगा। यहां मर्सियाख्वानी के बाद चौकी का जुलूस दरगाह लाया जायेगा।
दरगाह कमेटी ने चांद की शाहदत की घोषणा के बाद इमामबाड़ा में मंजलिसों का दौर शुरु हो जायेगा। चांद की दस तारीख को परम्परागत तरीके से नंगी तलवारों से हाईदौस खेला जायेगा। और रात्रि में ताजिये की सवारी निकाली जायेगी, जो दरगाह के पीछे झालरा में सैराब होगी। ये सब अंग्रेजी तारीख 29 जुलाई को होगा।
उल्लेखनीय है कि इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की कर्बला में शाहदत के गम में 12 जिलहिज से 12 मोहर्रम तक गमगीन माहौल में हरा लिबास पहनकर मुस्लिम समुदाय मुहर्रम मनाता है। इस दौरान दरगाह शरीफ में कव्वाली भी नहीं होती है।
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