द ब्लाट न्यूज़ रतवाड़ी पंचायत का घाटी गांव आज भी यातायात सुविधा से नहीं जुड़ पाया है। यहां पर वर्ष 2015 में लोनिवि ने जेबीसी लगा कर एक सडक़ बनाई थी, लेकिन उसके बाद से न तो इस सडक़ की रिपेयर हुई और न ही इस सडक़ को पक्का किया गया जिससे अब यह एक रास्ता बन कर रह गई है। यहां पर न तो कोई एबुंलेस आती है और न ही कोई रोगी वाहन। आपात समय में लोग रोगियों को पीठ पर उठा कर मुख्य मार्ग तक पहुंचाते है। गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी होती है।
रतवाड़ी पंचायत के इस घाटी गांव में हरिजन लोग रहते हैं। चुनाव के समय में राजनेता इन भोले-भाले लोगों सडक़ बनाने की सपना दिखाते है लेकिन चुनाव समाप्त होने के बाद कोई न कोई बहाना बना कर इस मुद्दे को ठंड़े बस्ते में डाल देते है। गांव के कुछ लोग अपनी जमीन से इस सडक़ को पक्का नहीं होने दे रहे है, जिसका खामियाजा पूरा गांव भुगत रहा है। वार्ड पंच बबली देवी ने बताया कि दो दिन पूर्व गांव की एक महिला को बीमारी की हालत में रतवाड़ी तक ढाई किमी पीठ पर उठा कर पहुंचाया गया। पंचायत की प्रधान पूजा देवी ने बताया कि उन्होंने पंचायत की बैठक बुलाई है जिन लोगों को जमीन देने पर एतराज है उनसे बात कर उन्हें राजी किया जाएगा।
पूर्व सैनिक प्रेमचंद ने बताया कि सडक़ की सुविधा न होने से लोग अपनी नकदी फसलें भी उठा कर मुख्य मार्ग तक ले जाते है, जिससे किसानों को भाड़े के रूप में अधिक पैसा खर्चना पड़ता है। उधर, लोनिवि के सहायक अभियंता राज कुमार ने बताया कि विभाग इस सडक़ को पक्का करना चाहता है लेकिन यहां के लोगों की जमीन बीच में आने से वह एतराज करते हैं और काम को चालू नहीं होने देते। विभाग ने ग्रामीणों को यह विकल्प दिया है अगर वह दूसरी ओर से भी जमीन देकर सडक़ बनाना चाहते है तो वह उसके लिए भी तैयार है।
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