द ब्लाट न्यूज़ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार के साथ बातचीत को निर्थक बताते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, लेकिन लगता है कि वह असली निर्णायक सैन्य प्रतिष्ठान के साथ बातचीत शुरू करने के इच्छुक हैं। यह बात एक मीडिया रिपोर्ट में कही गई। वह प्रतिशोध में विश्वास नहीं करते और अगर वह फिर से सत्ता में आए तो कानून का शासन लाने का प्रयास करेंगे।
खान ने कहा कि मौजूदा दौर में सत्ताधारी शासकों सहित सभी राजनेता शक्तिहीन हैं और उनके साथ बातचीत करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। सेना ही वास्तविक निर्णायक और शक्ति का केंद्र है।
खान ने यह टिप्पणी इस सवाल के जवाब में की कि क्या वह अर्थव्यवस्था के चार्टर पर राजनेताओं के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं?
मीडिया आउटलेट के मुताबिक, खान ने पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया और कहा कि वह (खान) कम से कम तीन अलग-अलग मौकों पर बाजवा को बर्खास्त कर सकते थे, लेकिन उन्होंने संयम बरता। पीटीआई प्रमुख ने दबाव में होने की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि वह अर्थव्यवस्था को लेकर अधिक चिंतित थे।
9 मई की हिंसा के संबंध में अपने सैन्य परीक्षण के बारे में आशंका जताते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी सेना अधिनियम के तहत उन पर आरोप लगाने के लिए अनुमोदक बन रहे थे। उन्होंने सैन्य अदालतों में नागरिकों पर चल रहे मुकदमे को लोकतंत्र और न्याय का अंत करार दिया।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार खराब अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार है और इस समस्या का एकमात्र समाधान आय सृजन, मेगा सुधारों के स्थानों का पता लगाना और कठोर उपाय करना है।