पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर छिड़ी बहस के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विचार का समर्थन करते हुए आज कहा कि शिक्षा के जरिए ही जनसंख्या-नियंत्रण संभव है, कानून लाकर तो बागी तैयार हो जाएंगे। श्री सिंह ने शुक्रवार को कहा, “शिक्षा के जरिए ही जनसंख्या-नियंत्रण संभव है अन्यथा कानून लाकर तो हम बागी तैयार कर बैठेंगे।
मुख्यमंत्री श्री कुमार का जोर है कि इस तरह की समस्याओं को आप कानून के भय से नहीं बल्कि सामाजिक-शैक्षणिक स्तर को उठाकर दूर कर सकते हैं। बिहार जैसे राज्यों में इसका सीधा असर देखने को मिला है। बुद्धिजीवियों का समूह भी इसी बात की ओर इशारा कर रहा है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए संभव नहीं है। यह जनजागरुकता और स्त्री शिक्षा से जुड़ा हुआ मसला अधिक है। राज्यसभा सांसद ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने नवंबर 1938 के अपने निबंध ‘जन्म नियंत्रण के उपाय’ में भारत की पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिस्थितियों के आलोक में जनसंख्या-नियंत्रण की संभावनाओं को लेकर जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू और रवींद्र नाथ टैगोर को चिह्नित करते हुए विस्तार से चर्चा की है।
उन्होंने इस निबंध में सुभाषचन्द्र बोस के साथ-साथ महात्मा गांधी के मत को उद्धृत किया है और अंतत: उनके निबंध का पूरा जोर इस बात की ओर है कि बिना शिक्षा जनसंख्या पर नियंत्रण संभव नहीं है। उस समय से लेकर आज तक भारत में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बहसें होती रही हैं, लेकिन किसी कारगर और अंतिम नतीजे पर हम आज तक नहीं बढ़ सके हैं।
श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आज उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य नहीं है, जहां जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाया गया है। इससे पूर्व राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और हरियाणा जैसे राज्यों में इस पर पूर्व के वर्षों में कवायद की जा चुकी है। असम ने तो दो वर्ष पूर्व कानून बनाकर इस वर्ष इसे लागू करने का एलान भी किया था। लेकिन, इन राज्यों में यह कानून असरकारी तो दूर फिसड्डी अधिक साबित हुए। जनता ने इस कानून को अपने ऊपर थोपा हुआ जबरिया कानून माना।