द ब्लाट न्यूज़ प्रदेश की प्राचीन ऐतिहासिक इमारतों और स्थलों के संरक्षण और कायाकल्प के लिए योगी सरकार सतत प्रयास कर रही है। कुम्भ नगरी प्रयागराज में ऐसी कई प्राचीन इमारतें हैं जो वक्त के साथ या तो जर्जर हो गयी या खंडहर हो चली हैं। सरकार उनका उन्हें नया स्वरूप दे रही है।
उत्तर प्रदेश प्राचीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक इमारतों का भी प्रदेश है। राज्य में ऐसी कई इमारतें हैं जो वक्त के साथ या तो जर्जर हो गयी या पिछली सरकारों ने उन्हें उपेक्षित कर दिया है। प्रदेश की बागडोर संभालते ही योगी सरकार ने इस विरासत को संवारने और संरक्षित करने का अभियान शुरू कर दिया। संयुक्त प्रांत की राजधानी रहे प्रयागराज में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की ऐसी कई इमारतें हैं जो वक्त के साथ या तो खंडहर हो गई या फिर तत्कालीन सरकारों की अनदेखी से धूल की परतों तले दबकर रह गयी। शहर के सिविल लाइन्स इलाके में खंडहर में तब्दील हो चुका “चलचित्र- केंद्र” भी ऐसी ही ऐतिहासिक इमारत थी जिसे योगी सरकार ने कायाकल्प करने का संकल्प लिया है।
शहर के महात्मा गांधी मार्ग पर आज से 70 वर्ष पहले इस चलचित्र केंद्र का निर्माण किया गया था। यह वह दौर था जब न टीवी था और न विसुअल गजेट ही। यहां महान व्यक्तियों के जीवन पर आधारित फिल्में और बाद में सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाले वृत्तचित्र तैयार किये जाते थे। अपने दौर में निराला, महादेवी वर्मा, मैथिलीशरण गुप्त पर बनी बायोपिक यहीं बनी थीं। कई दशकों से बंद पडी इस इमारत का प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड कायाकल्प कर रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तकनीकी मैनेजर संजीव कुमार सिन्हा के मुताबिक़ 621 वर्ग मीटर में बनी इस इमारत में उत्तर भारत का पहला सिने- म्यूजियम बनाया जा रहा है। ₹4 करोड़ की लागत से यह संग्रहालय बनाया जा रहा है जिसके लिए टेंडर भी जारी किये जा चुके हैं।