भोपाल: मप्र में राजनीतिक जमीन तलाश रहे केजरीवाल, ओवैसी औरचंद्रशेखर राव

द ब्लाट न्यूज़ प्रदेश में साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा के अलावा अन्य राजनीतिक दल भी मैदान में उतर सकते हैं। अभी तक आम आदमी पार्टी (आप), आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एमआईएमआईएम) और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मप्र में विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है। पिछले साल निकाय चुनाव में एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे और कुछ सीटें जीतकर मप्र में अपना खाता भी खोल लिया था। अब ये राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव के लिए भी जोर आजमाइश में लगे हैं।

 

 

नए राजनीतिक दलों का राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के चुनावी समीकरण जरूर बिगड़ सकते हैं। मप्र की राजनीति में अभी तक दो प्रमुख दल कांग्रेस एवं भाजपा ही हैँ। दोनों दलों के बीच ही सीधा मुकाबला होगा, लेकिन जिस तरह से नए दल मप्र में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं, उस पर भरोसा कर लिया जाए तो करीब आधा दर्जन राजनीतिक दल पहली बार चुनाव मेंउतरेंगै। हालांकि आम आदमी पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 2022 के नगरीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी एवं ओवैसी की एआईएमआईएम को जिस तरह से सफलता मिली है, उससे दोनों दल विधानसभा चुनाव में भी उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

खास बात यह है कि जितने नए दल चुनाव में उतरेंगे उतना नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। भाजपा को नुकसान होने की संभावना कम ही रहेगी, जिसकी वजह यह है कि मप्र भाजपा में भाजपा का वोट बैंक स्थाई है। 2003 के बाद भाजपा ने मप्र में वोट बैंक मजबूत किया है। जबकि कांग्रेस के पास जो वोट बैंक था, वह खिसक गया थ। 2018 के विधानसभा चुनाव में बेशक भाजपा सरकार बनाने से चूक गई थी, लेकिन उसका वोट प्रतिशत कांग्रेस से ज्यादा था। ऐसे में यह साफ है कि नए दलों के आने से कांग्रेस को ही नुकसान होने की संभावना दिखाई देरही है। आम आदमी पार्टी और एमआर्ठएमआईएम सीधे तौर पर कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगाएंगी। यह भी संभावना है कि भाजपा से असंतुष्ट वोट कांग्रेस को न जाकर इन दलों को चला जाए। इससे फायदा भाजपा को ही मिल सकता है। आम आदमी पार्टी हर महीने मप्र में संगठनात्मक बैंक कर रही है। दिल्ली से नेता आकर संगठन का विस्तार कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल छह महीने पहले ही मप्र की सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर चुके हैं।

हालांकि आप की प्रदेश इकाई का कहना है कि पार्टी फिलहाल शहरी क्षेत्र की सभी सीटों पर संगठन का ढांचा तैयार कर रही है। साथ ही शहरी क्षेत्रों की सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने पर जोर है। 2022 के निकाय चुनाव में सिंगरौली महापौर जीतकर और अन्य सीटों पर अच्छा खासा जनमत मिलने से आम आदमी पार्टी मप्र में विधासभा चुनाव के लिए पसीना बहा रही है। दक्षिण भारत मूल की पार्टी एआईएमआईएम ने पिछले साल निकाय चुनाव में पहली बार मप्र की राजनीति में एंट्री की। निकाय चुनाव में कुछ सीटों पर पार्षद जीतकर आए। ऐसे में एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी अब मप्र की चुनिंदा सीटां पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। इससे बड़े दलों केचुनावी समीकरण बिगड़ सकते हैं। भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव भी हिंदी भाषी राज्य मप्र की राजनीति में एंट्री मारने की तैयारी में हैं।

मध्य प्रदेश के कई नेता एक साथ बीआरएस में शामिल हो गए हैं। के चंद्रशेखर राव ने यहां उन्हें पार्टी स्कार्फ भेंट कर बीआरएस में उनका स्वागत किया। मध्य प्रदेश से बीआरएस मेंशामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में रीवा के पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल (भाजपा), पूर्व विधायक डॉ. महेश गुर्जर (बसपा), सतना (सपा) के धीरेन्द्र सिंह, सतना जिला पंचायत के सदस्य विमला बागरी और अन्य शामिल हैं।

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