THE BLAT NEWS:
दिल्ली। अकाली दल के मुखिया और देश के सबसे वरिष्ठतम नेताओं में से एक रहे प्रकाश सिंह बादल को पीएम मोदी बुधवार को चंडीगढ़ में अंतिम श्रद्धांजलि देते पहुंचे। पीएम मोदी जब प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो उस दौरान उनके साथ हरियाणा के सीएम मनोहर सिंह खट्टर और अन्य बड़े नेता मौजूद थे। पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे बादल का मंगलवार 25 अप्रैल को मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। वह 95 वर्ष के थे।
उनके निधन पर देश की कई राज्य सरकारों ने शोक व्यक्त किया है। बिहार सरकार ने दो दिन को राजकीय शोक का आदेश जारी किया है,जिसके मुताबिक 26 और 27 अप्रैल को दो दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान पूरे राज्य में सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इन दो दिन में कोई सरकारी समारोह या आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। पंजाब सरकार ने पांच बार राज्य के सीएम रहे बादल के सम्मान में गुरुवार को राष्ट्रीय शोक का अवकाश घोषित किया है। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, विभाग, बोर्ड, निगम और शैक्षणिक संस्थान गुरुवार को बंद रहेंगे। इस क्रम में केंद्र सरकार पहले ही दो दिन का राष्ट्रव्यापी शोक घोषित कर चुकी है। शिअद प्रमुख के पार्थिव शरीर को राजपुरा, पटियाला, संगरूर, बरनाला, रामपुरा फूल और बठिंडा होते हुए दोपहर 12 बजे मुक्तसर स्थित उनके पैतृक गांव बादल ले जाया जाएगा। पार्टी के एक नेता ने बताया कि बृहस्पतिवार को दोपहर एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था। बादल ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया था। बठिंडा जिले के बादल गांव के सरपंच बनने के साथ ही उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर वह मलोट से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए।वर्ष 1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से जीत हासिल की। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह के कांग्रेस का दामन थामने के बाद अकाली दल फिर से संगठित हो गया।अकाली दल ने 27 मार्च 1970 को बादल को अपना नेता चुना।इसके बाद अकाली दल ने जनसंघ के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई। वह तब देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। हालांकि यह गठबंधन सरकार एक वर्ष से थोड़ा अधिक समय तक ही चल पाई। इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे। अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी पड़ाव में बादल ने अकाली दल की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी थी।