मन की बात : भारत के पारम्परिक हथकरघा की आवाज़

THE BLAT NEWS:

स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का अभिमान- ‘खादी। स्वतंत्रता के पश्चात स्वदेशी की शान- ‘खादी। वर्तमान में ‘आत्मनिर्भर भारत की पहचान- ‘खादी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के  ‘वोकल फॉर लोकल के मंत्र ने खादी को ‘लोकल टू ग्लोबल कर दिया है। अब खादी सिर्फ फैशन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि गरीबों की जिंदगी में बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम बन चुका है। भारत की राष्ट्रीय धरोहर ‘खादी को स्वतंत्रता से पूर्व पूज्य बापू ने जहां अहिंसक आंदोलन का सबसे सशक्त माध्यम बनाया; उसी खादी को नए भारत के शिल्पकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत की नींव का सबसे शक्तिशाली स्तंभ बना दिया। प्रधानमंत्री के ‘मन की बात कार्यक्रम ने खादी को आत्मनिर्भर बनाने में सबसे अहम योगदान दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप 2021-2022 में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का कुल कारोबार रुपए 1.15 लाख करोड़ को पार कर गया, जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात में कहा था, जब हम खादी का कोई उत्पाद खरीदते हैं तो हम उन लाखों बुनकरों के जीवन को प्रकाशमय बनाते हैं जो दिन रात मेहनत करते हैं। यह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, वर्तमान सरकार की ग्रामीण भारत के प्रति वचनबद्धता को दर्शाता है। यह उसी का प्रभाव है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खादी के उत्पादों की स्वीकार्यता हाल के वर्षों में बढ़ी है तथा इसका लाभ जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले खादी कामगारों को मिला है। 1 अप्रैल, 2023 से खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने खादी कारीगरों के पारिश्रमिक में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। वर्ष 2014 के बाद से अब तक पारिश्रमिक में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है।
स्वतंत्रता पश्चात खादी और ग्रामोद्योगी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वर्ष 1956 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना की गई। आयोग सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन भारत सरकार की महत्वपूर्ण रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है। 3 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीद्वारा अपने रेडियो प्रसारण कार्यक्रम ‘मन की बात के माध्यम से देश के नागरिकों को खादी खरीदने के लिए की गई अपील ने, खादी क्षेत्र को पुनर्जीवित कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा था कि यदि आप खादी का कोई भी उत्पाद खरीदते हैं, तो आप एक गरीब व्यक्ति के घर में समृद्धि का दीपक जलाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप, एक सप्ताह के भीतर खादी की बिक्री में 125त्न की वृद्धि दर्ज की गई।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने खादी वस्त्रों में नवाचार लाकर खादी को न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैशन का एक विकल्प बना दिया है। प्रधानमंत्री द्वारा ‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन और खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन’ का मंत्र परिवर्तन का बड़ा माध्यम बना है। इसी तरह से ग्रामोद्योग उत्पादों के प्रोत्साहन के लिए हनी मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत 2017-18 से अब तक, 18 हजार से अधिक लाभार्थियों को 1.80 लाख मधुमक्खी-बॉक्स और मधुमक्खी कालोनी एवं कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत कुम्हारों को 25 हजार से अधिक विद्युत चालित कुम्हारी चाक, चर्मोद्योग के अंतर्गत लगभग 3,100 कारीगरों को कौशल विकास में प्रशिक्षण तथा 1600 से अधिक को फुटवियर निर्माण के लिए उन्नत टूल्स किट प्रदान किए गए। इसी तरह से अगरबत्ती कारीगरों को प्रशिक्षण के उपरांत 1080 पैडल चालित मशीनों का भी वितरण किया गया। इसके साथ ही कृषि आधारित एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, टर्नवुड क्रॉफ्ट, खादी प्राकृतिक पेंट, प्रोजेक्ट री-हब, खादी फैब्रिक फुटवियर और हैंडमेड पेपर निर्माण योजना से ग्रामीण उद्योगों को नई पहचान मिली।कोरोना महामारी के जिस दौर में दुनियाभर के उद्योगों में रिकॉर्ड गिरावट और बेरोजगारी में अत्यधिक वृद्धि दर्ज की गई, उस कठिन दौर में खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के माध्यम से नए स्टार्टअप्स को रोजगार देने का कीर्तिमान बनाया। आपदा को अवसर के रूप में लेते हुए 31 मार्च 2021 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष, जो देशव्यापी लॉकडाउन से काफी हद तक प्रभावित था, के दौरान आयोग ने 2188.78 करोड़ रुपये संवितरित कर 5,95,320 रोजग़ारों का सृजन किया, जो वर्ष 2008 में योजना लॉन्च होने के बाद अब तक का उच्चतम स्तर था। ‘आत्मनिर्भर भारतÓ अभियान में एक लंबी छलांग लगाते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने 2008 से विगत वित्तीय वर्ष 2021-22 में, पीएमईजीपी योजना के अंतर्गत रुपए 19148.01 करोड़ रुपए मार्जिन मनी का संवितरण कर 64,30,618 लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बातÓ कार्यक्रम में खादी को प्रोत्साहन देने से सामान्य दिनों में तो खादी की बिक्री बढ़ी ही है पिछले वित्त वर्ष में 2 अक्टूबर, 2022 को, नई दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित ‘खादी इण्डियाÓ शोरूम ने लगभग 1 करोड़ 34 लाख रुपये के खादी-ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री की, जो किसी एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी बिक्री है। स्वतन्त्रता के 75वें वर्ष पर भारत सरकार के हर घर तिरंगा कार्यक्रम के दौरान खादी से बने राष्ट्र ध्वज की मांग में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से, खादी विशेष रूप से युवाओं के बीच लोकप्रिय ब्रॉंड बन चुका है। यह देश के बड़े फैशन डिजाइनरों की प्रमुख पसंद है। वित्त वर्ष 2014-15 से 2021-22 में जहां खादी के उत्पादन में 191 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं बिक्री में 332 प्रतिशत का उछाल आया। जब कि इसी समयावधि में ग्रामोद्योग क्षेत्र के उत्पादन में 206 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि बिक्री 245 प्रतिशत बढ़ गई। कोविड महामारी के दूसरे लॉकडाउन के दौरान खादी और ग्रामोद्योग आयोग को 45 करोड़ रुपये की सरकारी खरीद का आदेश, खादी कारीगरों के लिए बड़ा प्रोत्साहन रहा।
खादी के वस्त्र हों, हस्तशिल्प के उत्पाद या ग्रामोद्योग में बने खाद्य पदार्थ, इन वस्तुओं ने एक राष्ट्र के रूप में भारतवर्ष को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने के साथ ही आत्मनिर्भर भी बनाया है। यह उत्पाद न केवल विश्व स्तरीय हैं बल्कि प्रकृति के करीब भी। जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे वर्तमान विश्व के लिए, हमारे गांवों से आने वाले ये उत्पाद आदर्श साबित हो सकते हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की पहचान हैं।
प्रधानमंत्री का ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम 30 अप्रैल, 2023 को अपने सौ एपिसोड पूरे करने जा रहा है। मैं आशा करता हूँ कि जिस तरह हमने खादी को अपनाया है, उसी तरह हम पहले से और भी अधिक ‘वोकल फॉर लोकलÓ बनने का प्रण लेंगे और भारत को हर मायने में आत्मनिर्भर बनाएँगे।
लेखक अध्यक्ष, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार हैं

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