भोपाल: कर्नाटक चुनाव से मप्र भाजपा के नेता पुत्रों को बढ़ी टिकट की आस

द ब्लाट न्यूज़ मध्यप्रदेश भाजपा के नेता पुत्रों के लिए पार्टी का कर्नाटक चुनाव में टिकट वितरण का फार्मूला सुकून देने वाला है। क्योंकि भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में नेताओं के बेटा, बेटी एवं अनय रिश्तेदारों को जमकर टिकट दिए हैं। यदि पार्टी साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसी फार्मूले से टिकट बांटती है, तो फिर उन नेता पुत्रों का सियासी भाग्य चमक सकता है, जो सालों से संगठन में सक्रिय है, लेकिन परिवारवाद और वंशवाद को लेकर पार्टी के सिायसी सिद्धांत के चलते उन्हें टिकट नहीं मिल पाता है।

 

 

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में दस मई को 224 सीटों पर विधानासभा चुनाव होना है। इसके लिए सत्तारूढ़ भाजपा नई पीढ़ी की राजनीति में आगे लाने की मंशा से योजनाओं को भी टिकट बांटे हैं। इसमें नेता पुत्रों, पुत्री एवं अन्य रिश्तेदारों की भी अच्छी खासी संख्या है। हालांकि ज्यादा सीटों पर भाजपा ने नेताओं के टिकट काटकर उनके रिश्तेदारों को टिकट दिए हैं। इस चुनाव में कर्नाटक भाजपा के 70 की उम्र पार के ज्यादातर नेता टिकट से बाहर हो गए हैं, लेकिन वे चुनाव में सक्रिय हैं। इन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा समेत अन्य कई दिग्गज शामिल हैं। जिन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा। ऐसे में पार्टी ने उसके बेटा, बेटी को टिकट दिया है। कर्नाटक चुनाव से मप्र ही नहीं देशभर में भाजपा के नेता पुत्रों के लिए टिकट का रास्ता खुल सकता है।

ये नेता पुत्र खासे सक्रिय हैं उनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर, प्रभात झा के बेटे तृष्मुल झा, गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़, गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन, शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान खासे सक्रिय हैं। गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव का नाम 2013 के विधानसभा चुनाव से हर बार टिकट को लेकर चर्चा में रहता है। पुत्रों को टिकट की खुलकर पैरवरी कर चुके हैं नेता : मप्र में बेटों की टिकट मिलने के चक्कर में नेता उम्रदराज हो रहे हैं। ऐसे में उनकी पूरी कोशिश है कि किसी तरह बेटा-बेटी को राजनीति में स्थापित कर िदया जाए।

अभी तक मप्र सरकार के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा (पूर्व मुख्यमंत्री वीरन्ेद्र कुमार सकलेच के बेटे) नेता पुत्रों को टिकट देने की वकाल कर चुके हैं। जबकि भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य सत्यनारायण जटिया भी नेता पुत्रों को योग्यता के आधार पर टिकट देने की पैरवी कर चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय भी इसके पक्षधर हैं। मप्र के जिन बड़े नेताओं के बेटे टिकट के लिए लालयित हैं, उन्होंने अभी इस मुद्दे पर मुंह नहीं खोला है।। नेताओं को छोडऩा पड़ सकता है मैदान : प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, गौरीशंकर बिसेन, प्रभात झा, मालिनी गौड़ के बेटा-बेटी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। भाजपा में आने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे भी सक्रिय हो गए हैं। इनमें से कई नेता पुत्र पार्टी में सालों से काार्य कर रहे हैं। अभी तक सिर्फ वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिलवाने में सफल् रहे हैं।

हालांकि इसके लिए विजयवर्गीय ने खुद चुनाव नहीं लड़ा। संभवत: अगले चुनाव में पार्टी नेताओं को खुद चुनाव मैदान  छोडऩे की शर्त पर उनके बेटा-बेटीी को टिकट दे सकती है।

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