भोपाल: मिशन वात्सत्य का मोदी के आईएएस बाबुओं ने लगाया पलीता?

द ब्लाट न्यूज़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आईएएस बाबुओं की फौज मध्यप्रदेश की हर सरकारी योजनाओं की फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर सरकारी खजाने का पलीता लगाने में लगे हुए हैं, जिन 56 सीटों पर अपनी पार्टी की चुनावी जमावट के लिए 7853 करोड़ रुपए की लागत से पांच बड़ी जल प्रदाय योजनाओं का शिलान्यास विंध्य क्षेत्र और प्रदेश को प्रधानमंत्री देने वाले हैं इस योजना का अभी तक करोड़ों खर्च हो चुके हैं मगर फिर भी राज्य की अधिकांश आबादी जल संकट से जूझ रही हे रीवा में भी यही स्थिति मध्यप्रदेश की है समाज के बेसहारा, अनाथ बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए मोदी सरकार के मिशन वात्सल्य पर मप्र के नौकरशाहों ने ब्रेक लगा दिया है।

पूर्व से संचालित एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) को नए प्रावधान के साथ भरत सरकार ने एक अप्रैल 2022 से देश भर में लागू कर दिया था। साथ ही केंद्र ने बजट भी जारी कर दिया था, लेकिन मप्र महिला बाल विकास के अफसर इसे एक साल बाद भी लागू नहीं कर पाए हैं। खास बात यह है कि मिशन वात्सल्य को लागू करने में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पूरे तथ्यों से अवगत नहीं कराया। कारण अगर ऐसा किया होता तो मुख्यमंत्री ऐसा होने ही नहीं देते। वित्त विभाग के अधिकारियों ने भी बगैर तथ्यों को जांचे, परखे इस संवेदनशील मामले मेंमप्र के करीब दस हजार अनाथ, बेसहारा बच्चों के हक पर ताला लगा दिया। दूसरी तरफ गैर भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली राजस्थान पिछले साल ही इसके लागू कर चुके हैं।

मिशन वात्सल्य के तहत जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितयों, किशोर न्याय बोर्ड, बाल देखरेख संस्थानों, दत्तक ग्रहण एजेंसियों के लिए नए नाम्र्स एवं वित्तीय प्रावधान लागू किये गये हैं। मिशन वात्सल्य केंद्र औरराज्य की 60 से 40 प्रतिशत वित्तीय भागीदारी पर आधारित योजना है। यानी इसका 60 फीसदी अनुदान मप्र केा केंद्र ने अप्रैल 2022 से जारी कर दिया, लेकिन मप्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर बीते वित्तीय साल मेंराज्य हिस्से का 40 फीसदी अनुदान नहीं दे पाए थे। अब संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने मिशन वात्सल्य को एक साल बाद यानी एक अप्रेल 2023 से लागू करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा है। जिसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे में पिछले साल अप्रैल 2022 में केंद्र से मिली 60 प्रतिशत कीराशि अनाथ, बेसहारा बच्चों के नाम पर खर्च करने के बजाए कहां खर्च की गई। इस पर भी सवाल उठते हैं।

इस संबंध में आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग एवं प्रमुख सचिव से संपर्क नहीं हो सका। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियेां की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल भर में आईसीपीएस योजना के तहत कार्यरत 600 कर्मचारियेां को समय पर वेतन नहीं मिला है। प्रदेश में किशोर न्याय बोर्ड, सीडब्ल्यू के सदस्यों को सात महीने से मानदेय नहीं दिया गया है। बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत पांच हजार से अधिक अनाथ, बेसहारा बच्चों के भोजन, कपड़े एवं अन्य सुविधओं के लिए भी केंद्र सरकार ने बजट प्रतिमास दो हजार से बढ़ाकर तीन हजार किया है, लेकिन मप्र में यह लाभ बच्चों को नहीं दिया गया है। गैर भाजपा शासित राज्य कर चुके हैं लागू : देश भर में मिशन वात्सल्य एक अप्रैल 2022 से लागू हो गया है।

छत्तीसगढ़, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, केरल, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में मिशन वात्ल्य नई गाइडलाइन के अनुरूप क्रियान्वयन भी जारी है। तथ्य यह है कि मिशन वात्सल्य में हर जिले में बाल देखरेख संस्थान खोले जाने का प्रावधान है। जिससे सेंटर कम करने की जगह बढ़ाए जाने हैं। जबकि वित्त विभाग सेंटर्स कम करने का तर्क दे रहा है। केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य की बढ़ी राशि के साथ अपना केंद्रांश 4696.86 लाख मप्र सरकार को मार्च से पहले ही जारी कर दिया राज्य के हिस्से की राशि 3131.23 लाख को मिलाकर यह राशि 7828.10 लाख होते हैं। जो पिदले साल से महज 17 करोड़ 70 लाख ही अधिक है। संदेश के पास वित्त विभाग की यह नोटशीट मौजूद है। जिसमें वित्त विभाग के अधिकारियों ने टीप क्रमांक दो पर बिना तथ्यों की पड़ताल किसे इस बढ़ी हुई राशि 17.70 करोड़ रुपये को संविदा कर्मचारियों के वेतन पर होने का दावा कर फाइल वित्त मंत्री से अनुमोदित कर महिला बाल विकास को वापिस कर दी है। जबकि तथ्य यह है कि यह बढ़ी हुई राशि पूरे मिशन वात्सल्य के क्रियान्वयन की है।

वित्त विभाग की इस अदूरदर्शिता के चलते प्रदेश के 7500 ऐसे अनाथ बेसहारा बच्चे जिन्हें मिलने वाली दो हजार की फोस्टर केयर स्पांसरशिप की राशि चार हजार मासिक मिलनी थी अब नहीं मिल पाएगी। वित्त विभाग ने प्रस्तावों का परीक्षण ही नहीं किया और मंत्री ने भी बाबूशाही को रंगी फाइल पर दस्तखत कर दिए नतीजनत 50 से अधिक संस्थाओं में निवासरत अनाथ बेसहारा बच्चों को नई दरों से भोजन, वस्त्र आदि की सुविधा नहीं मिल पाएगी। खास बात यह है कि इन सभी मामलों में वित्त पोषण केंद्र से होना था। सबसे बड़ा सवाल? केंद्र सरका ने तो बच्चों के कल्याण के लिए अपनी तरफ सेराशि मप्र सरकार को उपलब्ध करा दी लेकिन एक वित्तीय वर्ष की यह बढ़ी हुई रािश आखिर अब किस मद में खर्च की जाएगी? क्योंकि वित्त मंत्री ने प्रस्ताव एक अप्रैल 2022 के स्थान पर एक अप्रैल 2023 से लागू करने के आदेश दे दिए हैं।

चुप्पी साधे बैठे हैं महिला बाल विकास के आला अफसर : मुख्यमंत्री एक तरफ हर संभव कोशिश करते हैं कि प्रदेश में बच्चों के कल्याण में कोई कसर नहीं रहे। सबसे पहले कोरोना में अनाथ बच्चों का पुनर्वास हो या मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना हर मोर्चे पर मुख्यमंत्री ने अनाथ, गरीब बेसहारा बच्चों के लिए दरियादिली दिखाई और नियमों को शिथिल किया लेकिन महिला बाल विकास के अफसर इस मामले में वित्त विभाग के आगे मुंह सील कर बैठ गए हैं। आईसीपीएफ (मिशन वात्सल्य) के कर्मचारियों के वेतन एवं संपूर्ण योजना के घटक जैसे बाल देखरेख संस्थान, सीडब्लयूसी, जेजेबी, दत्तद ग्रहण, पोस्टर केयर के मद में केंद्र से बढ़े मानदेय/बजट देने की फाइल को वित्त विभाग ने इस टीप के साथ विभाग को मिशन महीने लौटा दिया है कि भूत लक्षी प्रभाव से यानी एक अप्रैल 2022 से इसे दिया जाना संभव नहीं है। सवाल यह कि जब केंद्र ने साल भर पहले इसे लागू कर दिया तो महिला बाल विकास विभाग साल भर तक चुप क्यों बैठा रहा।

इसके पीछे वित्त विभाग का तर्क है कि भारत सरकार ने मिशन वात्सल्य लागू करने की बात कह रहा है, लेकिन अप्रैल 2022 से जारी बजट का क्या होगा इसका कोई जवाब विभाग के पास नहीं। वित्त विभाग के सचिव ज्ञानेश्वर पाटिल ने बताया कि केंद्र ने कुछ सेंटरों को बंद करने के लिए कहा था। कुछ के मानदेय में बढ़ोतरी करनी थी। विभाग ने एक अप्रैल 2022 से दिए जाने का प्रस्ताव भेजा था। भारत सरकार के निर्देश अनुसार कुछ कमी थी। इसलिए भूत लक्षी प्रभाव से बढ़ा मानदेय देने का प्रस्ताव लौटा दिया था।

 

 

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