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उज्जैन, उज्जैन जेल में हुए जीपीएफ घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, जेल के अंदर होने वाले गुनाहों की परतें भी धीरे-धीरें खुलने लगी हैं। जांच में यह खुलासा हुआ है कि जेल में शराब और मटन से लेकर सारी सुविधाएं मिलती थीं। हां, सबके रेट जरूर तय थे। जेल अधीक्षक उषा राज की गिरफ्तारी के बाद कर्मचारी खुद जेल के अंदर की दास्तान बयां कर रहे हैं। यह खुलासा पुलिस की अब तक की जांच में हुआ है। उज्जैन जेल में कर्मचारियों की सहमति से किया उनके जीपीएफ में जमा तकरीबन पंद्रह करोड़ रुपए उषा राज और उनके मातहत कुछ कर्मचारियों ने निकाल लिए थे। खुलासे के बाद राज और उनके करीबी जगदीश परमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उकनी गिरफ्तारी के बाद जेल के अंदर की कहानियां भी सामने आने लगी हैं। जेल के कर्मचारी अब बताने लगे हैं कि जेल में मटन और शराब से लेकर सबकुछ मिलता था। बुलाने वाले कैदियों को इसकी कीमत चुकानी होती थी। यह काम सबके जरिए नहीं होता था। जेल के अंदर उषा राज के कुछ चहेते कर्मचारी और सजायाफ्ता कैदी थे,
जिनका काम नए और विचाराधीन कैदियाकें से वसूली करना था और उन्हीं के जरिए बाहर का सामान अंदर जाता था। सूत्र बताते हैं कि जेल में मुलाकात की खिड़की पर जेल अधीक्षक के कुछ करीबी को विशेष्ज्ञ अनुमति थी, जिसमें जगदीश परमार भी था। सीसीटीवी फुटेज के जरिए इसके गुनाहों को तलाशा जा रहा है। जेलकर्मियों की मानें तो परमार रोज मुलाकात की खिड़की पर जाता था और वहां बंदियों को बुलाकर बातचीत करता था। कहा जा रहा है कि यह वे बंदी होते थे, जो आर्थिक रूप से समृद्ध थै। मुलाकात कराने से लेकर जेल के अंदर सबका रेट तय था। परमार के अलावा भी कुछ कर्मचारी इसमें शामिल थे। शराब की एक बोतल अंदर करने के दो हजार रुपए लिए जाते थे। एक किलो मटन दो हजार रुपए बाहर से खाना लाने का कीमत के एक से दो हजार होती थी। जेल में बंद कैदियों से अच्छा व्यवहार करने, अच्छा बिस्तर दिलाने और अन्य सुविधआों के बदले कैदियों से वसूल होती थी।
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