पढ़िए अपने अख़बार में मड़ौली अग्निकांड पर एक कविता

 

मड़ौली अग्निकांड पर बोले योगी🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

खुले जेल के द्वार हमेशा आओ सबका आदर है।

 बोले बाबा रामराज्य में अब कानून बराबर है।

ना भरे अभी थे घाव पिटाई से जनपद गुस्साया है।

खुली छूट का बेकाबू हो डंका खूब बजाया है।

 मैंने बोला भूमाफिया खातिर क्रेन मंगाई है।

 तुमने बुलडोजर ले जाकर कुटिया विप्र जलाई है।

बने मुसीबत अन्ना पहले, अब ना और पचाएंगे।

 तीस मार्च तक बेकाबू सब, गौशाला में जाएंगे।

 नहीं क्षमा के योग्य तुम्हारा तांडव सबने देखा है।

मां बेटी के चीत्कार से गूंज उठा फिर मैथा है।

 अब ना जाना कोई गौतम, हो प्रशांत या थानेदार।

 छूट क्या दे दी बेकाबू हो, करने लगे हो अत्याचार।

 पहले बोला था यह मैंने नहीं झोपड़ी उजड़े कोई।

 मानवता सब भूल चुके हो कहां आत्मा तुम्हरी सोई।

आह ह्रदय दुखियारी सुनकर, कुदरत अश्रु बहाती है।

 जिलाधीश की निष्ठुरता पर,

मानवता शर्माती है।

अहंकार के अंगारों ने ऐसी आग लगाई है।

भले टीम राजस्व नहीं, पर दिल्ली भी शरमाई है।

सभी नपेंगे गिरी झोपड़ी, अगर चला बुलडोजर है।

खुले जेल के द्वार हमेशा, आओ सबका आदर है।

 

लेखक : (अश्वनी शुक्ला) 

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