द ब्लाट न्यूज़ दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया। डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने के दौरान पथराव के बाद छ्वहृस् ने जमकर हंगामा किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिजली और इंटरनेट कनेक्शन काट दिया। इसके बाद उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि तकनीकी खराबी के कारण बिजली की सप्लाई बाधित हुई, जिसे ठीक किया जा रहा है। छात्र गुटों के बीच पत्थरबाजी की भी बात बताई जा रही है।
वामपंथी छात्रों ने स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर के लॉन में सरकार द्वारा प्रतिबंधित ‘इंडिया:द मोदी च्ेश्चनÓ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। स्क्रीनिंग से पहले ही कैंपस की बिजली गुल हो गई। इसके बाद छात्र मोबाइल पर एक-दूसरे को लिंक शेयर करके मोबाइल टॉर्च की रोशनी में लैपटॉप-मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देखने लगे। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष का आरोप है कि एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने इस दौरान उनपर पथराव किया। बवाल की सूचना पर पुलिस भी कैंपस में पहुंची। दूसरी तरफ नाराज छात्रों ने कैंपस से वसंत कुंज तक विरोध मार्च निकाला।
आइशी घोष ने कहा, एबीवीपी ने पथराव किया है। इसके बावजूद अभी तक प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। हमने फिल्म की स्क्रीनिंग लगभग पूरी कर ली, हमारी प्राथमिकता है कि यहां बिजली को बहाल किया जाए। हमने 25 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे तहकीकात करेंगे। जिन लोगों को चोट लगी है वे भी इलाज के बाद कल पुलिस स्टेशन में अपना बयान दर्ज कराएंगे। जेएनयू प्रशासन से भी हम शिकायत करेंगे।
वहीं, इस पूरे विवाद पर दिल्ली पुलिस का कहना है कि जेएनयू के किसी भी वर्ग से शिकायत मिलती है तो वह उचित और आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी। जेएनयू प्रशासन ने कहा, विश्वविद्यालय में बिजली आपूर्ति लाइन में गंभीर खराबी आ गई है। हम इसकी जांच कर रहे हैं। इंजीनियरिंग विभाग कह रहा है कि इसे जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा।
डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) कार्यालय के बाहर इक_ा हुए छात्रों ने दावा किया कि जब वे इसे अपने फोन पर देख रहे थे तो उन पर पत्थर फेंके गए। हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस को ऐसी किसी घटना की सूचना नहीं दी गई। छात्रों के आरोपों और दावों पर जेएनयू प्रशासन की ओर से भी तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उसने सोमवार को कहा था।
वहीं, इस पूरे विवाद पर दिल्ली पुलिस का कहना है कि जेएनयू के किसी भी वर्ग से शिकायत मिलती है तो वह उचित और आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी। जेएनयू प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, विश्वविद्यालय में बिजली आपूर्ति लाइन में गंभीर खराबी आ गई है। हम इसकी जांच कर रहे हैं। इंजीनियरिंग विभाग कह रहा है कि इसे जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा।
डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) कार्यालय के बाहर इक_ा हुए छात्रों ने दावा किया कि जब वे इसे अपने फोन पर देख रहे थे तो उन पर पत्थर फेंके गए। हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस को ऐसी किसी घटना की सूचना नहीं दी गई। छात्रों के आरोपों और दावों पर जेएनयू प्रशासन की ओर से भी तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उसने सोमवार को कहा था कि छात्र संघ ने कार्यक्रम के लिए उसकी अनुमति नहीं ली थी और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी ने दावा किया कि छात्रों ने इसे देखने और शेयर करने के लिए एक ऑनलाइन एप्लिकेशन के जरिए अपने मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री को डाउनलोड किया। डॉक्यूमेंट्री देखने गए असरार अहमद ने कहा, हम शांति से अपने फोन पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, लेकिन कुछ लोगों ने हम पर पत्थर फेंके। अंधेरा होने के कारण पथराव करने वालों की पहचान नहीं हो सकी।
एक छात्र ने कहा, जेएनयू प्रशासन ने बिजली और इंटरनेट बंद कर दिया है। हमने अन्य छात्रों के साथ डॉक्यूमेंट्री साझा किया और इसे एक साथ देख रहे हैं। बालाजी ने यह भी दावा किया कि परिसर में सादी वर्दी में पुलिसकर्मी घूम रहे थे। हालांकि, पुलिस की कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई।
जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) में वाम समर्थित डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए), स्टूडेंट फेडेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के सदस्य शामिल हैं। सरकार ने शुक्रवार को ट्विटर और यूट्यूब को इंडिया: द मोदी च्ेश्चन नामक डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को दुष्प्रचार का हथकंडा बताते हुए खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।