द ब्लाट न्यूज़ राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को सीएमओ कार्यालय पर गोष्ठी की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम पीसीपीएनडीटी एक्ट के नोडल अधिकारी डा. केडी मिश्रा ने कहा कि हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य देश में बालिकाओं के प्रति होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
यह 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस दिवस की शुरूआत की गई थी। सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ,सुमंगला योजना जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। लड़के की चाह में परिवार वाले भ्रूण हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 लागू किया गया है और मुखबिर योजना चलायी जा रही है है। इन योजनाओं से बाल लिंगानुपात में वृद्धि हुई है,यह वृद्धि हमें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों पर में दिखाई देती है।
एनएफएचएस-5 के अनुसार लखनऊ में एक हजार बालकों पर 981 बालिकाओं ने जन्म लिया है जबकि एनएफएचएस-4 2015-16 के अनुसार यह आंकड़ा 870 था। प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो एनएफएचएस -5 के अनुसार एक हजार बालकों पर 941 बालिकाओं ने जन्म लिया है जबकि एनएफएचएस-4 के अनुसार यह आंकड़ा 903 था। वहीं नोडल अधिकारी ने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट,1994 के तहत गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना कानूनन दंडनीय अपराध है। एक बेहतर भविष्य के लिये बालिकाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है, तभी एक स्वस्थ समाज बन सकता है।
सरकार की ओर से चल रही ‘मुखबिर योजना’ से जुड़कर लिंग चयन,भ्रूण हत्या, अवैध गर्भपात में संलिप्त व्यक्तियों, संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई में सरकार की सहायता की जा सकती है और इसके एवज में सरकार से सहायता प्राप्त की जा सकती है। वहीं अवंतीबाई जिला महिला अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका सेठ ने एमटीपी संशोधन एक्ट, 2021 के प्रावधानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि गर्भ समापन सरकारी अस्पतालों अथवा पंजीकृत स्वास्थ्य केंद्रों पर किसी प्रशिक्षित चिकित्सक से ही करवाएं।
अधिनियम के अनुसार यौन उत्पीड़न या बलात्कार की शिकार, नाबालिग अथवा गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव हो गया हो या विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो या फिर गर्भस्थ शिशु असमान्य हो ऐसी स्थिति में महिला 24 सप्ताह की अवधि के अंदर गर्भपात करा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि 20 सप्ताह तक के गर्भ समापन के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक और 20 से 24 सप्ताह के गर्भ समापन के लिए दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होती है ।
इस मौके पर जिला सर्विलांस अधिकारी डा. निशांत निर्वाण, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, सभी सीएचसी की महिला रोग विशेषज्ञ, सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के अल्ट्रा साउंड विशेषज्ञ और सीएमओ कार्यालय के अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।