डेढ़ माह का मासूम बच्चे की कच्चे घर में दबकर हुई मौत…

Author : Sameem khan


सिकंदरा,कानपुर देहात। सिकंदरा तहसील क्षेत्र के विकास खंड राजपुर के कस्बा रसधान के मजरा चितवाखेड़ा निवासी राजेंद्र कुशवाहा ने बताया कि उसके पास करीब डेढ़ बीघा जमीन है। जिसके 4 पुत्र हैं।दो पुत्र पूर्ण कच्चे मकान में रहकर अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं।वही शुक्रवार की सुबह करीब 5:00 बजे अचानक कच्चा मकान भरभरा कर सोते हुए परिवार के ऊपर गिर गया।जिसमें दबकर उसका दो माह का पोता प्रतीक, पुत्र वधू ललिता 26 वर्ष तथा पुत्र गिरजेश 28 वर्ष तथा दूसरा पुत्र सर्वेश व पुत्रवधू बंदना सहित 3 वर्ष की पुत्री शिखा व 5 वर्षीय पोती अंशिका व 6 वर्षीय पोता अंश दब गया। घटना की सूचना पर पहुंचे ग्रामीणों ने आनन-फानन मकान में दबे लोगों को फावड़े से मिट्टी हटाकर बाहर निकाला।

घटना स्थल पर मौजूद स्थानीय ग्रामीण फ़ोटो :  द ब्लाट
घटना स्थल पर मौजूद स्थानीय ग्रामीण फ़ोटो : द ब्लाट

 

तब तक 2 दो माह के अबोध बच्चे की मौत हो चुकी थी। जिसके बाद डायल 108 द्वारा गंभीर हालत में ललिता व गिरजेश को जिला अस्पताल भिजवाया गया है। जहां वह जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं। वही तीन मासूमों सहित दो अन्य लोगों को मामूली चोटें आई हैं। जबकि मकान गिरने से दो बकरियों की घटनास्थल पर मौत हो गई। घटना की सूचना तहसील प्रशासन को देने पर घटनास्थल पर पहुंचे तहसीलदार ने लेखपाल व सचिव को माध्यम से आनन फानन गरीब के घर पर संबंधित कोटेदारों के यहां से चावल व गेहूं उसके घर पर रखवा दिया।

 

रोते बिलखते परिजन फ़ोटो  : द ब्लाट
रोते बिलखते परिजन फ़ोटो : द ब्लाट

 

वही उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ धर्मेंद्र सिंह व पशुधन प्रसार अधिकारी उमेश चंद्र त्रिपाठी द्वारा मृत बकरियों का पंचायतनामा भरकर आर्थिक लाभ दिलाए जाने की बात कही गई। जबकि पीड़ित ने बताया कि कई बार आवास हेतु प्रार्थना पत्र देने के बाद भी उसे आवास नहीं दिया गया। ना ही उसका अभी तक अंत्योदय राशन कार्ड बनाया गया। घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना था कि आवास से ₹20000 ना देने के चलते गरीब को आवास नहीं दिया गया।

 

वहीं थाना प्रभारी सिकंदरा अखिलेश जायसवाल ने बताया कि शव का पंचायत नामा भरकर पोस्टमार्टम में भिजवाया गया है। जबकि उप जिलाधिकारी सिकंदरा डॉ पूनम गौतम ने बताया कि पीड़ित परिवार की यथासंभव आर्थिक मदद कराई जाएगी। वही असमय हुई दर्दनाक घटना से परिवारीजनों का रो रो कर बुरा हाल है।

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