छतरपुर: हाई कोर्ट ने निरस्त किया छतरपुर कलेक्टर का आदेश

द ब्लाट न्यूज़ छतरपुर जिले में बड़ामलहरा निवासी बृजकिशोर असाटी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उसके पिता पटवारी के पद पर पदस्थ थे, जिनकी सेवा काल के दौरान छह मई 1995 को मौत हो गई थी।

 

 

उस समय याचिकाकर्ता नाबालिग था, जिसके बाद याचिकाकर्ता साल 2001 में बालिग हुआ तो अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कलेक्टर छतरपुर को प्रस्तुत किया।

छतरपुर कलेक्टर ने आवेदन खारिज करते हुए लिखा कि याचिकाकर्ता ने सात साल बाद आवेदन दिया था। साल 2007 कि अनुकंपा नियुक्ति कि पॉलसी में यह कहा गया है कि सात साल के अंदर आवेदन नहीं दिया गया है तो अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने दोबारा आवेदन प्रस्तुत किया तो पुराना हवाला देते हुए दोबारा 13 जून 2013 को खारिज कर दिया, जिसके बाद साल 2016 में हाई कोर्ट की शरण ली गई थी, जिसमें 13 जून 2013 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

1995 में हुई मौत पिता की मौत…
आवेदक की ओर से कहा गया, याचिकाकर्ता के पिता कि मौत 6 मई 1995 को हुई थी। उस समय कि अनुकंपा नियुक्ति कि जो पॉलसी थी, वो याचिकाकर्ता के ऊपर लागू होंगी न कि साल 2007 की। क्योंकि साल 1995 कि अनुकंपा नियुक्ति में यह कहीं भी उल्लेख नहीं कि सात साल के अंदर ही अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन किया जाना चाहिए, जिसके बाद न्यायलय ने समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद कलेक्टर के आदेश को निरस्त करते हुए अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने पक्ष रखा।

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