नेपाल: अपराधियों को माफी देने के अध्यादेश का फैसला कर बुरी तरह फंसे देउबा

द ब्लाट न्यूज़ कार्यवाहक सरकार में होने के बावजूद अध्यादेश जारी करने का फैसला कर नेपाल की शेर बहादुर देउबा सरकार ने देश में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

 

 

खुद प्रधानमंत्री देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। नेपाल में इस समय नई सरकार बनने की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच देउबा सरकार के अध्यादेश जारी करने के निर्णय को अनुचित बताया गया है।

देउबा सरकार ने ये अध्यादेश आपराधिक संहिता में संशोधन के लिए जारी किया है। नए संशोधन के तहत सरकार को जघन्य अपराधों में सजा पाए मुजरिमों को भी माफी देने का अधिकार मिल जाएगा। जिन नेताओं ने देउबा सरकार के इस रुख पर एतराज जताया है, उनमें नेपाली कांग्रेस के दोनों महासचिव- गगन थापा और विश्व प्रकाश शर्मा भी शामिल हैं। गगन थापा ने सरकार से तुरंत ये अध्यादेश वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि नेपाली कांग्रेस सरकार के इस कदम का समर्थन नहीं कर सकती।

थापा ने अपनी ये राय सोशल मीडिया के जरिए जताई। उसके पहले पार्टी महासचिव विश्व प्रकाश शर्मा ने इस कदम के विरोध में अपनी राय जताई थी। उनका समर्थन करते हुए थापा ने कहा- ‘सरकार के अध्यादेश जारी करने के मुद्दे पर महासचिव शर्मा ने जो राय जताई है, वह बिल्कुल सही है। यह सिर्फ हमारी राय नहीं है, बल्कि नेपाली कांग्रेस अतीत में यह फैसला कर चुकी है कि संसद को ठेंगा दिखाते हुए इस रूप में अध्यादेश जारी करना गलत है।’

शर्मा ने कहा था कि सरकार के ऐसे कदम का नेपाली कांग्रेस समर्थन नहीं कर सकती। देउबा सरकार ने रविवार को अपनी एक बैठक में अध्यादेश जारी करने का निर्णय लिया था। सोमवार को इस बारे में सूचना सार्वजनिक की गई। इसके कुछ ही घंटों के अंदर शर्मा ने अपना विरोध जता दिया। उसके कुछ देर बाद थापा ने शर्मा के समर्थन में अपना बयान सोशल मीडिया पर पोस्ट कर डाला। नेपाली कांग्रेस के एक अन्य नेता प्रदीप पौडेल ने भी इस मुद्दे पर देउबा सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि अध्यादेश जारी करना पहले भी गलत था और आज भी यह गलत है। उन्होंने मांग की है कि इस बारे में निर्णय लेने का मौका नई संसद को दिया जाना चाहिए।

इस बीच नेपाल के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने इस अध्यादेश के मुद्दे पर देउबा सरकार से जवाब तलब किया है। आयोग ने एक बयान में इसकी जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिपरिषद को पत्र लिख कर तीन दिन के अंदर अध्यादेश के बारे में तथ्यात्मक जानकारी देने का निर्देश दिया है।

इस बीच मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक देउबा सरकार ने ये अध्यादेश खास तौर पर रेशम चौधरी नाम के एक सजायाफ्ता को राहत देने के लिए जारी करने का फैसला किया है। चौधरी को अगस्त 2015 में हुए टीकापुर हत्याकांड के मामले में सजा सुनाई गई थी।

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